भारत का ट्विटर विकल्प 'Koo' फंडिंग संकट के कारण बंद होगा
भारत का रोशन सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'Koo'
भारतीय सोशल मीडिया प्लेटफार्म कू अब इतिहास बनने की कगार पर है। ट्विटर के भारतीय विकल्प के रूप में उभरने वाला यह प्लेटफार्म फंडिंग संकट का शिकार हो गया है। हाल ही में कंपनी ने घोषणा की कि लंबे समय से चले आ रहे फंडिंग संकट के चलते उन्हें अपनी सेवा बंद करनी पड़ रही है।
स्थानीय भाषाओं में संवाद की सुविधा
कू का विचार कुछ अद्वितीय था। भारतीय यूजर्स को उनके स्थानीय भाषाओं में संवाद करने का एक प्रभावी साधन देने का उद्देश्य इसके पीछे था। जबकि ज़्यादातर सोशल मीडिया प्लेटफार्म अंग्रेज़ी में आधारित रहते हैं, कू ने 22 भारतीय भाषाओं में संवाद का विकल्प दिया। इस कदम ने कू को अपने शुरुआती दिनों में ही बहुत लोकप्रिय बना दिया था, विशेषकर उन लोगों के बीच जो अंग्रेज़ी में सहज नहीं थे।
नजदीकी लिंक सत्ता से
कू का सत्तारूढ़ भाजपा के साथ भी एक नजदीकी संबंध माना जाता था। जब ट्विटर भारत सरकार के साथ नीतिगत विवादों में उलझा हुआ था, तब कू ने उस मौके का फायदा उठाया और भारतीय उपयोगकर्ताओं के लिए एक स्वदेशी विकल्प प्रस्तुत किया। कू ने सरकार के नीतिगत दिशा-निर्देशों का पालन करने का दिखावा किया, जिससे कुछ समय के लिए उसे सरकारी समर्थन भी मिला।
संभावित बिक्री सौदा असफल
कू का डिजिटल मीडिया कंपनी डेलीहंट के साथ संभावित बिक्री सौदा भी असफल रहा। इस सौदे से कू को नई ऊंचाईयों पर ले जाने की उम्मीद थी, लेकिन यह सौदा फलीभूत नहीं हो सका। यह कू के पिछड़ने का एक प्रमुख कारण बना।
शिखर पर कू का प्रदर्शन
अपने सबसे अच्छे दिनों में कू के पास 2.1 मिलियन दैनिक सक्रिय उपयोगकर्ता और 10 मिलियन मासिक सक्रिय उपयोगकर्ता थे। इसके साथ ही, कू पर 9,000 से ज्यादा वीआईपी के अकाउंट्स भी थे। यह धनात्मक आंकड़े साबित करते हैं कि कू ने अपने टारगेट ऑडियंस के बीच गहरी पैठ जमा ली थी।
संस्थापकों की दिलचस्प रिपोर्ट
कू के संस्थापक अप्रमेय राधाकृष्ण और मयंक बिडवाटका ने दावा किया था कि कू 2022 में ट्विटर को मात देने के कगार पर था। लेकिन उसकी राह में लंबे समय से चला आ रहा फंडिंग संकट आड़े आ गया।
फंडिंग का संकट और असफलता
कू ने टाइगर ग्लोबल की अगुवाई में कई फंडिंग राउंड किए थे। इनमें एक्सेल पार्टनर्स, कलारी कैपिटल, ब्लूम वेंचर्स, और ड्रीम इंक्यूबेटर जैसे अन्य निवेशक भी शामिल थे। कुल मिलाकर कू ने $30 मिलियन की फंडिंग जुटाई थी। परंतु यह धनराशि भी कू को संकट से उबारने के लिए पर्याप्त सिद्ध नहीं हुई।
भविष्य की दिशा में देखें
कू का बंद होना भारतीय सोशल मीडिया के क्षेत्र में एक अहम घटना है। यह उस संकट की और भी इशारा करता है जिससे नई उभरती हुई टेक कंपनियां जूझ रही हैं। कू की असफलता से सीख लेते हुए, अन्य स्थानीय सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को नई चुनौतियों का सामना करने के लिए और भी अधिक मजबूत वित्तीय रणनीतियों को अपनाने की आवश्यकता होगी।
इस घटना का निष्कर्ष यह है कि टेक्नोलॉजिकल उभरते हुए विचारों को केवल रचनात्मकता ही नहीं, बल्कि मजबूत वित्तीय रणनीति और क्षेत्रीय समर्थन की भी जरूरत होती है। भविष्य में भारतीय सोशल मीडिया क्षेत्र में अन्य नए प्लेटफार्म इसी संघर्ष और विकास की कहानी को आगे बढ़ाएंगे।