संसद सत्र से पहले पीएम मोदी का विपक्ष पर हमला: 'मेरे बोलने पर रोक लगाने की कोशिश की'
संसद सत्र से पहले प्रधानमंत्री का विपक्ष पर हमला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगामी मानसून सत्र से पहले विपक्ष पर गंभीर आरोप लगाए हैं। एक महत्वपूर्ण भाषण में, उन्होंने दावा किया कि विपक्षी दलों ने पिछले संसद सत्रों के दौरान उनकी आवाज़ को दबाने की कोशिश की थी। मोदी ने इस स्थिति को 'नकारात्मक राजनीति' करार दिया और सांसदों से आग्रह किया कि वे अपने भेदभाव को भूलाकर राष्ट्र के विकास के लिए मिलकर काम करें।
संसद सत्र का महत्व और प्रधानमंत्री का आह्वान
प्रधानमंत्री मोदी ने बजट 2024 को भारत के भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया और सांसदों से इस पर गंभीरता से विचार करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इस बजट के माध्यम से 'अमृत काल' के लिए आवश्यक कदम उठाए जा सकते हैं, जो हमारे देश की विकास यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
22 जुलाई से शुरू हुए इस मानसून सत्र में कुल 19 बैठकें होंगी, जो 12 अगस्त तक चलेंगी। प्रधानमंत्री ने सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि वे पूर्व के गिले-शिकवे भूलकर एक नई शुरुआत करें और अगले पांच साल तक साथ मिलकर राष्ट्रहित में कार्य करें।
वित्त मंत्री का योगदान और बजट 2024 की आवश्यकता
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 22 जुलाई को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश करेंगी और उसके अगले दिन, यानी 23 जुलाई को, केंद्रीय बजट 2024 प्रस्तुत करेंगी। इस बजट को 'अमृत काल' के सपनों को साकार करने के उद्देश्य से देखा जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा कि, 'हम सभी को यह याद रखना चाहिए कि जब हम संसद में होते हैं, तो हमारे पास सम्पूर्ण देश की जिम्मेदारी होती है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि बजट 2024 हमारे देश को नई ऊँचाइयों पर ले जाने में सफल हो।' उन्होंने सांसदों से आग्रह किया कि वे विकास की इस यात्ऱा में पूर्णतः शामिल हों और मिलकर काम करें।
विपक्ष पर आरोप और एकता की अपील
प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष पर जोरदार हमला किया और दावा किया कि उन्होंने पिछले सत्रों के दौरान मुख्य मुद्दों पर चर्चा को बाधित किया और उनकी आवाज़ को दबाने की कोशिश की। उन्होंने इसे 'नकारात्मक राजनीति' का नाम दिया और सांसदों से आग्रह किया कि वे इस तरह की राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्रहित में कार्य करें।
विपक्षी दलों की आलोचना का सामना करते हुए, प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि इस समय सबसे बड़ा मुद्दा देश का विकास है और इसके लिए सभी को एकजुट होकर काम करना होगा। उनकी इस अपील में एकता और समर्पण की भावना को उजागर किया गया।
संसद सत्र के संस्थागत महत्व
इस सत्र का महत्व केवल बजट 2024 तक ही सीमित नहीं है। इसमें कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी चर्चा होनी है, जिनमें कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, और रोजगार जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल हैं।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में यह भी स्पष्ट किया कि इस सत्र में पारित होने वाले विधेयक और नीतियाँ देश की दीर्घकालिक विकास यात्रा को दिशा प्रदान करेंगी। उन्होंने सांसदों से आग्रह किया कि वे अपने भिन्न भिन्न विचारधाराओं को दरकिनार कर, राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखें।
भविष्य की योजनाओं पर ध्यान
प्रधानमंत्री मोदी के इस भाषण से स्पष्ट है कि उनकी अगुवाई में सरकार आगामी बजट सत्र में कई महत्वपूर्ण और दूरगामी परिणाम देने वाले निर्णय लेने को तत्पर है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के लिए यह समय अत्यंत महत्वपूर्ण है।
कुल मिलाकर इस सत्र में देश के भविष्य को लेकर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाने की संभावना है। इससे साफ है कि प्रधानमंत्री मोदी ने मानसून सत्र के माध्यम से एक नई शुरुआत की उम्मीद की है और वह चाहते हैं कि सभी राजनीतिक दल इस दिशा में उनके साथ मिलकर काम करें।
11 टिप्पणि
Sahaj Meet
जुलाई 23 2024बस एक बात कहूँ... जब विपक्ष बोलता है तो उसे दबाने की बात क्यों? जब तक हम सब एक साथ चलेंगे, तब तक ये बातें बस धुआँ होंगे।
Guru Singh
जुलाई 24 2024अगर विपक्ष की आवाज़ दबाई जा रही है, तो संसद का क्या मतलब? ये सिर्फ एक तरफा बातचीत है। विकास की बात तो हर कोई करता है, पर सच्चाई तो ये है कि असली बहस कभी नहीं होती।
Sumeer Sodhi
जुलाई 25 2024अरे भाई, ये सब नकारात्मक राजनीति का नाटक है। विपक्ष को दबाने की कोशिश करना तो बहुत आसान हो गया है, जब तक जनता का दिमाग बंद है। ये सब बजट के नाम पर लोगों को भ्रमित करने की चाल है।
Antara Anandita
जुलाई 27 2024बजट सिर्फ पैसे का विवरण नहीं होता, ये देश के भविष्य का रूप बनाता है। अगर विपक्ष भी इसे राष्ट्रहित की दृष्टि से देखे, तो बहुत कुछ बदल सकता है।
Vinay Dahiya
जुलाई 27 2024मोदी जी क्या कह रहे हैं, वो सब ठीक है... पर क्या आपने कभी देखा है कि जब विपक्ष बोलता है, तो टीवी पर उनकी आवाज़ कितनी धीमी हो जाती है? ये नहीं कि आवाज़ दबाई जा रही है, ये तो आवाज़ को बहुत ही धीरे से बुझाया जा रहा है... और फिर लोगों को लगता है कि विपक्ष चुप है!
Priyanshu Patel
जुलाई 29 2024संसद में बहस होनी चाहिए... न कि सिर्फ एक तरफ से बयान देने का मौका। जब तक हम एक दूसरे को सुनेंगे, तब तक ये देश आगे नहीं बढ़ेगा। बस एक बार बात कर लो, फिर चलो आगे!
Gaurav Singh
जुलाई 30 2024तो अब विपक्ष को दबाने की बात नहीं... बल्कि विपक्ष को सुनने की बात हो गई? क्या ये बदलाव अचानक आ गया? या फिर ये सिर्फ एक नया नाटक है जिसका नाम है 'एकता'?
ashish bhilawekar
जुलाई 31 2024ये बजट 2024 बस एक नए दौर की शुरुआत है... लेकिन अगर इसके पीछे एक दिमाग चल रहा है जो सिर्फ अपनी तरफ देख रहा है, तो ये सिर्फ एक बड़ा गुब्बारा होगा जो फूटेगा। विपक्ष को शामिल करो, नहीं तो ये सब बस एक नकली जश्न होगा!
Vishnu Nair
जुलाई 31 2024देखो, अगर हम इसे सिस्टम लेवल पर देखें, तो ये सब एक नियंत्रित डायनामिक्स का हिस्सा है। जब एक अधिकारी संरचना में एक विरोधी आवाज़ उठती है, तो उसे सामाजिक अनुकूलन के लिए अनुकूलित किया जाता है... और फिर इसे 'नकारात्मक राजनीति' कह दिया जाता है। ये तो एक बड़ा फ्रेमवर्क है, जिसमें आम आदमी को बहकाया जा रहा है। इसका नाम है 'कंट्रोल्ड डेमोक्रेसी'।
Sai Teja Pathivada
अगस्त 1 2024ये सब बस एक ट्रिक है... विपक्ष को दबाने के लिए एकता का नाम देना... जब तक तुम अपने खुद के निर्णयों को जांच नहीं लेते, तब तक ये चलता रहेगा। अगर तुम असली एकता चाहते हो, तो पहले अपनी आवाज़ खोलो... और फिर देखो कि कौन तुम्हारे साथ है।
Madhav Garg
अगस्त 2 2024संसद में बहस का अर्थ है अलग-अलग विचारों का सम्मिलन। अगर एक तरफ से बोलना ही बहस है, तो ये संसद नहीं, बल्कि एक बयानबाज़ी का मंच है। विकास के लिए विरोध भी जरूरी है।