फ़्रांस और अर्जेंटीना के बीच ओलंपिक में झगड़ा, फुटबॉल मैच ने बढ़ाई दुश्मनी
पेरिस ओलंपिक 2024 में फुटबॉल मैदान पर तनाव
पेरिस में चल रहे 2024 ओलंपिक में फ्रांस और अर्जेंटीना के बीच हुए फुटबॉल क्वार्टरफाइनल मुकाबले के अंत में तनावपूर्ण हालात उत्पन्न हो गए। यह मैच फ्रांस की 1-0 से जीत के बाद विवादों में घिर गया। इस मैच में अर्जेंटीनी खिलाड़ियों और उनके समर्थकों की शारीरिक और मौखिक बदसलूकी की घटनाएं सामने आईं। मंच पर पहले से ही गर्म माहौल था, क्योंकि अर्जेंटीनी टीम में शामिल वरिष्ठ खिलाड़ियों ने मैच से पहले फ्रेंच खिलाड़ियों के खिलाफ अपमानजनक नारे लगाए थे।
फ्रांस की जीत से बढ़ी दुश्मनी
2022 विश्व कप फाइनल में अर्जेंटीना से हार झेलने वाली फ्रांस ने इस मैच को गणना से देखना शुरू किया। फ्रेंच युवा टीम ने शानदार खेल का प्रदर्शन करते हुए 1-0 से मुकाबला जीत लिया। मैच के ठीक बाद ही दोनों टीमों के बीच बहस और शारीरिक लड़ाई शुरू हो गई। कोच थियरी हेनरी ने मैच के बाद इस हिंसा के लिए खेद जताते हुए कहा कि यह मैच बदले की भावना से नहीं खेला गया था।
हालांकि, अर्जेंटीनी खिलाड़ियों का आरोप था कि फ्रेंच खिलाड़ी उनके प्रशंसकों के सामने जानबूझकर उकसाने वाले जश्न मना रहे थे। अर्जेंटीना के सेंटर बैक खिलाड़ी निकोलस ओटामेंडी, जो विश्व कप विजेता टीम का हिस्सा थे, ने कहा कि फ्रेंच खिलाड़ी लोइक बदे ने अर्जेंटीनी परिवारों के सामने जश्न मनाकर उन्हें नाराज किया।
पुराने विवादों ने बिगाड़ा माहौल
अर्जेंटीनी फुटबॉल टीम पर पहले भी नस्लीय टिप्पणी करने के आरोप लगे थे। एक वीडियो में खिलाड़ियों को फ्रेंच खिलाड़ियों के खिलाफ अपमानजनक नारे गाते दिखाया गया था। इस विवाद ने पहले से ही रिश्तों को तनावपूर्ण बना रखा था। फ्रेंच फेडरेशन ने इस मामले में आधिकारिक शिकायत दर्ज कराई थी।
आगे की राह
फ्रांस की इस जीत ने उसे ओलंपिक सेमीफाइनल में पहुंचा दिया, जहां उनका मुकाबला मिस्र से होगा। वहीं, दूसरी तरफ मोरक्को और स्पेन के बीच भी जोरदार मैच होने की संभावना है। इस प्रतियोगिता ने दोनों देशों के बीच फुटबॉल प्रतियोगिता की तीव्र प्रतिस्पर्धा को उजागर किया है। आने वाले मैचों में किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए टीमों को संयम और संयमपूर्ण व्यवहार की जरूरत होगी।
16 टिप्पणि
Paresh Patel
अगस्त 4 2024इस तरह के मैच फुटबॉल के आत्मा को मार देते हैं। खेल तो खेल होना चाहिए, न कि नफरत का मैदान।
Kiran M S
अगस्त 6 2024फ्रांस ने जीत दर्ज की, लेकिन अर्जेंटीना के खिलाड़ियों का दर्द समझना भी जरूरी है। विश्व कप का वो फाइनल अभी भी उनके दिलों में घुला हुआ है। खेल में भावनाएं तो बहुत होती हैं, लेकिन उन्हें नियंत्रित करना भी एक कला है।
जब एक टीम के खिलाड़ी दूसरी टीम के परिवारों के सामने जश्न मनाते हैं, तो वह खेल की भावना से बहुत दूर हो जाता है। यह न सिर्फ असभ्य है, बल्कि इंसानियत के खिलाफ भी है।
हेनरी का कहना है कि यह मैच बदले की भावना से नहीं खेला गया - लेकिन ऐसा लगता है कि फ्रेंच खिलाड़ियों ने अपनी जीत को एक प्रतीक बना दिया। एक जीत का अर्थ दूसरे के दर्द को निगल जाना नहीं होता।
इस तरह की घटनाएं ओलंपिक के विचार को नुकसान पहुंचाती हैं। ओलंपिक तो एकता का प्रतीक होना चाहिए, न कि राष्ट्रीय घृणा का मंच।
हम भारतीय दर्शक भी इसे देख रहे हैं। हम फुटबॉल को प्यार करते हैं, लेकिन इस तरह के व्यवहार को नहीं।
क्या हम भी इस तरह के तनाव को अपने देश में नहीं देख पाएंगे? क्या हमारे खिलाड़ी भी कभी ऐसा करेंगे? यह सवाल हम सबके लिए है।
एक जीत के बाद आदर दिखाना भी एक बड़ी बात है। अर्जेंटीना के खिलाड़ियों ने खेल बहुत अच्छा किया, फिर भी वे खो गए। उनका दर्द समझो।
जब तक हम खेल को बस एक विजय का नाम नहीं बना देते, तब तक ये घटनाएं दोहराई जाएंगी।
फ्रांस के युवा खिलाड़ियों को बड़े खिलाड़ियों से सीखना चाहिए - जीत के बाद विनम्रता।
इस घटना के बाद अगर ओलंपिक संगठन ने कोई दंड नहीं दिया, तो यह एक खराब संकेत है।
फुटबॉल को फिर से खेल बनाने की जरूरत है, न कि राष्ट्रीय गर्व का एक बहाना।
Raghunath Daphale
अगस्त 8 2024अर्जेंटीना वाले फिर से भावनाओं के साथ खेल रहे हैं 😒
Renu Madasseri
अगस्त 8 2024अर्जेंटीना के खिलाड़ियों के लिए यह मैच बहुत कठिन रहा होगा। विश्व कप की हार के बाद यह नुकसान उनके लिए बहुत बड़ा हो सकता है। फ्रांस की जीत तो अच्छी थी, लेकिन उनके जश्न मनाने का तरीका गलत था।
हमें याद रखना चाहिए कि खिलाड़ी भी इंसान होते हैं। उनके परिवार भी मैदान में होते हैं। किसी के सामने जश्न मनाना उनके दिल में चाकू घुसाने जैसा है।
अगर हम खेल में इंसानियत को बरकरार रखेंगे, तो ये तनाव कम होंगे।
Aniket Jadhav
अगस्त 9 2024कोई भी टीम जीत जाए तो खुश होती है, लेकिन उसका जश्न दूसरों के दर्द पर नहीं होना चाहिए।
Sahaj Meet
अगस्त 10 2024मैंने ये मैच देखा था। अर्जेंटीना के खिलाड़ियों के चेहरे पर बस निराशा थी। फ्रांस वाले तो जैसे विश्व कप जीत गए हों।
लेकिन दोस्तों, ये सब टीवी पर दिखता है, लेकिन असली दर्द तो उन खिलाड़ियों के घरों में है।
एक बार खेल के बाद अर्जेंटीना के एक खिलाड़ी ने अपने बच्चे को गले लगाया और रो रहा था। वो दृश्य मेरे दिल में उतर गया।
हम लोग बस जीत-हार के बारे में बात करते हैं, लेकिन उनके जीवन के बारे में नहीं।
Noushad M.P
अगस्त 12 2024फ्रांस ने जीत ली लेकिन उनके खिलाड़ी बहुत बदसलूक थे और अर्जेंटीना वाले बहुत ज्यादा भावुक हैं ऐसे मैच तो बहुत बुरे होते हैं
Madhav Garg
अगस्त 13 2024इस तरह के विवाद फुटबॉल के इतिहास को दाग देते हैं।
जीत तो खेल का हिस्सा है, लेकिन आदर और सम्मान भी तो होना चाहिए।
अर्जेंटीना के खिलाड़ियों को अपने दर्द को नियंत्रित करना सीखना चाहिए।
फ्रांस के लिए भी, जीत का जश्न उनके दर्द पर नहीं होना चाहिए।
ओलंपिक तो एकता का प्रतीक है - इसे बर्बाद मत करो।
Sanjay Singhania
अगस्त 14 2024एक रिफ्लेक्सिव फुटबॉल सोशियोलॉजी ऑब्जर्वेशन के अनुसार, इस इंटरनैशनल कॉन्फ्लिक्ट में नैशनल इडेंटिटी के स्पेक्ट्रम ने गेम को एक ट्रांसकेशनल बैटल ऑफ इमोशनल प्रोजेक्शन में ट्रांसफॉर्म कर दिया।
फ्रेंच युवा एलिट टीम का एक्सप्रेशनिस्टिक विक्टरी डांस ने अर्जेंटीनियन प्रोलेटेरियट फैनबेस के सामने एक सिंबोलिक डिस्मिसल का इफेक्ट डाला।
लोइक बदे के जश्न मनाने का एक्ट न केवल एक इन्फ्राक्शन ऑफ स्पोर्ट्समैनशिप था, बल्कि एक डिप्लोमेटिक फॉल्ट लाइन भी।
अर्जेंटीना के खिलाड़ियों का रिस्पॉन्स एक ट्रामा-बेस्ड रिएक्शन था - विश्व कप के फाइनल के ट्रॉमा के बाद ये एक एक्सप्लोसिव रिसेट था।
हेनरी का इंटरव्यू एक क्लासिक नारेटिव डिफेंस था, लेकिन ये एक इमोशनल एक्सपेक्टेशन गैप को इग्नोर कर रहा था।
ये सब बताता है कि स्पोर्ट्स अब सिर्फ गेम नहीं, बल्कि एक रिफ्लेक्टिव फील्ड ऑफ पोस्ट-कोलोनियल इडेंटिटी वॉर्स है।
इसका सॉल्यूशन? न तो डिस्प्ले ऑफ एगो, न ही इमोशनल वैलेंस। बल्कि एक इंटरकल्चरल एमपैथी ट्रेनिंग प्रोग्राम।
ओलंपिक को रीइमाजिन करना होगा - न केवल जीत के लिए, बल्कि दर्द के साथ शेयर करने के लिए।
ये बात बस फुटबॉल के बारे में नहीं, बल्कि हमारी सामाजिक बुनियादी ढांचे के बारे में है।
जब हम एक दूसरे के दर्द को अनदेखा करते हैं, तो खेल भी हमारे खिलाफ बदल जाता है।
Archana Dhyani
अगस्त 14 2024मैं तो समझती हूं कि अर्जेंटीना के खिलाड़ियों के लिए ये मैच कितना दर्दनाक रहा होगा - विश्व कप के फाइनल में हार के बाद फिर ओलंपिक में एक ऐसे ही टीम से हारना।
लेकिन फ्रांस के खिलाड़ियों ने जो किया, वो बिल्कुल अनुचित था। जश्न मनाना तो ठीक है, लेकिन उनके परिवारों के सामने? ये कोई खेल नहीं, ये तो जानबूझकर दर्द पहुंचाना है।
और फिर वो नारे - जो अर्जेंटीना के खिलाड़ियों ने मैच से पहले गाए - वो भी नस्लीय और अपमानजनक थे।
तो फिर किसकी गलती है? दोनों की।
फ्रांस के युवा खिलाड़ियों को बड़े खिलाड़ियों से सीखना चाहिए - जीत के बाद विनम्रता।
अर्जेंटीना के खिलाड़ियों को भी सीखना चाहिए कि भावनाएं बहुत बड़ी होती हैं, लेकिन उन्हें नियंत्रित करना भी एक बड़ा गुण है।
मैं भारत से हूं, और हमारे देश में भी ऐसी ही घटनाएं होती हैं - जब एक राज्य दूसरे के खिलाफ नारे लगाता है।
खेल को बस खेल बनाए रखो।
हमें याद रखना चाहिए कि खिलाड़ी भी इंसान हैं। उनके परिवार भी इंसान हैं।
जब तक हम इस बात को नहीं समझेंगे, तब तक ये घटनाएं दोहराई जाएंगी।
और फिर लोग कहेंगे - फुटबॉल बर्बर हो गया।
लेकिन ये बर्बरता खेल में नहीं, हमारे दिलों में है।
anushka kathuria
अगस्त 14 2024फुटबॉल में भावनाएं अनिवार्य हैं, लेकिन उन्हें नियंत्रित करना भी एक विजय है।
rudraksh vashist
अगस्त 15 2024अर्जेंटीना के लोगों के लिए ये मैच बहुत कठिन रहा होगा। लेकिन फ्रांस के खिलाड़ियों ने जो किया, वो गलत था।
खेल के बाद जश्न मनाना तो ठीक है, लेकिन दूसरों के दर्द के सामने नहीं।
हमें याद रखना चाहिए कि खिलाड़ी भी इंसान होते हैं।
Kajal Mathur
अगस्त 16 2024फ्रांस के युवा खिलाड़ियों का व्यवहार ओलंपिक आदर्शों के खिलाफ है।
जीत के बाद विनम्रता एक सभ्यता का प्रतीक है।
अर्जेंटीना के खिलाड़ियों की भावनाएं समझना भी एक शिक्षा है।
इस घटना को आधिकारिक रूप से जांचना चाहिए।
Anoop Joseph
अगस्त 16 2024खेल को खेल बनाए रखें।
Guru Singh
अगस्त 17 2024मैंने ये मैच देखा। अर्जेंटीना के खिलाड़ियों की आंखों में दर्द था।
फ्रांस की जीत अच्छी थी, लेकिन उनका जश्न बहुत अधिक था।
खेल में सम्मान जरूरी है।
Raghunath Daphale
अगस्त 19 2024अर्जेंटीना वाले फिर भावनाओं के साथ खेल रहे हैं 😒