शुक्रवार 13वीं तिथि: अंधविश्‍वास के मनोविज्ञान पर एक नज़र

शुक्रवार 13वीं तिथि: अंधविश्‍वास के मनोविज्ञान पर एक नज़र

शुक्रवार 13वीं तिथि: अंधविश्‍वास के मनोविज्ञान पर एक नज़र

शुक्रवार 13वीं: अंधविश्वास का मनोविज्ञान

शुक्रवार 13वीं तिथि से जुड़ा अंधविश्‍वास एक ऐसा विषय है, जो सदियों से लोगों के मन में रचा-बसा हुआ है। चाहे कोई इसे माने या ना माने, परंतु इस विशेष दिन को लेकर सामान्य धारणा यह है कि यह दिन बदकिस्मती और दुर्भाग्य का प्रतीक होता है। इस अंधविश्‍वास को समझने के लिए इसके ऐतिहासिक और मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर गौर करना आवश्यक है।

अंधविश्वास की शुरुआत

शुक्रवार 13वीं तिथि के साथ जुड़े अंधविश्‍वास की जड़ें इतिहास में गहरे पैठी हुई हैं। 1307 में, इस दिन के साथ एक महत्वपूर्ण घटना घटी थी - जब फ्रांस के राजा फिलिप चतुर्थ ने नाइट्स टेम्पलर को गिरफ्तार किया था। कुछ लोग मानते हैं कि यह घटना इस अंधविश्‍वास का मुख्य कारण है, यद्यपि कई बार इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं होता।

मिथक और लोककथा

इसके अलावा, नॉर्स पौराणिक कथाओं में भी शुक्रवार 13वीं का उल्लेख होता है। एक प्रसिद्ध कथा अनुसार, जब 12 देवताओं के भोज में लोकि नामक बुरी शक्ति का प्रवेश हुआ, तो वह 13वीं अतिथि बनी, और इसके बाद कई अशुभ घटनाएँ घटित हुईं। यह कथा भी शुक्रवार 13वीं के विपत्ति का कारण बन गई।

ट्रिस्काइडेकाफोबिया और पारास्केविदेकाट्रिआफोबिया

शुक्रवार 13वीं तिथि को लेकर व्याप्त अंधविश्‍वास एक संयोजन है दो अलग-अलग आंशिक भय के - ट्रिस्काइडेकाफोबिया, जो 13 संख्या का भय है, और पारास्केविदेकाट्रिआफोबिया, जो शुक्रवार का भय है। ये दोनों भय साथ मिलकर इस तिथि के प्रति भय की स्थिति उत्पन्न करते हैं।

मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण

मनोवैज्ञानिक दृष्टि से, यह पाया गया है कि चाहे कोई इस अंधविश्‍वास को माने या ना माने, परंतु इस तिथि की जानकारी होते ही लोग अधिक सचेत हो जाते हैं। शिकागो विश्वविद्यालय की जेने रिजन के अनुसार, जब लोग किसी सुसंस्कृत संकल्पना के बारे में जानते हैं, तो वे नकारात्मक परिणामों की अधिक vividly कल्पना करने लगते हैं।

अध्ययन और परिणाम

शुक्रवार 13वीं तिथि के प्रभाव का अध्ययन भी कई बार किया गया है। 1993 में ब्रितिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन ने इस तिथि पर यातायात दुर्घटनाओं के आंकड़े जुटाए थे। हालांकि इन अध्ययनों के परिणाम हमेशा स्पष्ट नहीं होते और उन्हें अक्सर उनकी पद्धति की सीमाओं के लिए आलोचना की जाती है।

संस्कृतिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव

यद्यपि इस अंधविश्वास का कोई तर्कसंगत आधार नहीं है, परंतु संस्कृतिक और मनोवैज्ञानिक कारकों के कारण यह तिथि आज भी लोगों की धारणाओं और व्यवहार को प्रभावित कर रही है। सामान्यत: लोग इस तिथि पर अधिक सचेत हो जाते हैं और अचेतन मन में यह भय व्याप्त हो जाता है कि कुछ बुरा हो सकता है।

अंतत: यह स्पष्ट है कि शुक्रवार 13वीं तिथि के अंधविश्वास के मनोविज्ञान को पूर्ण रूप से समाप्त करना कठिन है, क्योंकि यह ऐतिहासिक घटनाओं, मिथकों और मनोवैज्ञानिक प्रवृत्तियों का मिश्रण है। इस विषय पर और अधिक शोध की आवश्यकता है जिससे इसे और गहराई से समझा जा सके और संभावित रूप से इसके प्रभाव को कम किया जा सके।

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