कैप्टन अंशुमान सिंह की विधवा को मिला कीर्ति चक्र: 'पहली नजर का प्यार', याद साझा की
कैप्टन अंशुमान सिंह की बहादुरी को मिला कीर्ति चक्र
कैप्टन अंशुमान सिंह की वीरता पुरस्कृत की गई जब उनकी विधवा, स्मृति सिंह, ने भारत का दूसरा सबसे बड़ा शौर्य पुरस्कार, कीर्ति चक्र, को ग्रहण किया। यह सम्मान उनके अद्वितीय साहसिक अपोलो के लिए मरणोपरांत दिया गया। यह सम्मान विशेषकर सियाचिन क्षेत्र में एक भयानक आग दुर्घटना के दौरान उनके साहसिक कार्यों के लिए प्रदान किया गया है। यह उनकी वीरता की कहानी है, जो आज भी दिलों को छू जाती है।
कॉलेज के पहले दिन से लेकर लंबी दूरी की प्रेमकथा
कैप्टन अंशुमान सिंह और स्मृति सिंह की प्रेम कहानी कॉलेज के पहले दिन से शुरू हुई थी। वह अपने साथी छात्रों के बीच नए थे, और तभी उनकी नज़र स्मृति पर पड़ी। पहली नजर में ही दोनों के बीच एक गहरा जुड़ाव महसूस हुआ। उन दिनों में उनके पास ज्यादा समय नहीं था मिलने का, क्योंकि अंशुमान सेना में भर्ती हो गए थे। उन्होंने अपने स्नातक की पढ़ाई के बीच भी अपने रिश्ते को जीवित रखा, और उनके बीच लंबी दूरी का संबंध आठ साल तक चला।
सियाचिन में बहादुरी की मिसाल
अपने साथी सैनिकों और अधिकारियों के लिए कैप्टन अंशुमान सिंह एक अनुकरणीय अधिकारी थे। वह 26 पंजाब रेजिमेंट में एक मेडिकल ऑफिसर के रूप में तैनात थे और सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र में अपनी सेवा दे रहे थे। 19 जुलाई, 2023 को सियाचिन में स्थित एक भारतीय सेना के गोला-बारूद डंप में शॉर्ट सर्किट के कारण आग भड़क उठी।
कैप्टन अंशुमान ने ऐसा कदम उठाया जो न सिर्फ उनका कर्तव्य था, बल्कि उनकी अद्वितीय बहादुरी की निशानी थी। उन्होंने तेजी से रिएक्ट किया और चार से पांच लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। आग तेजी से फैलने लगी और पास के मेडिकल इंवेस्टिगेशन रूम को चपेट में ले लिया। जबकि सभी ने अपने जीवन को सुरक्षित स्थान पर रखा, कैप्टन अंशुमान ने दुबारा आग की लपटों में प्रवेश किया।
आखिरी कोशिश और दर्दनाक मौत
कैप्टन अंशुमान सिंह का आखिरी प्रयास जिंदगी बचाने का था। वह फिर से अंदर प्रवेश किए और अंतिम बार देखा गया जब उन्होंने धमाके के बीच एक और व्यक्ति की जिंदगियां बचाने की कोशिश की। अंतिम तौर पर, वह आग की लपटों के बीच फंस गए और उनकी मृत्यु हो गई। उनका यह बलिदान हर किसी को प्रेरणादायक सबक दे गया। उन्होंने अपने कर्तव्यों की खातिर अपने जीवन को न्यौछावर कर दिया।
कीर्ति चक्र: एक गर्व का क्षण
कैप्टन अंशुमान सिंह के इस अद्वितीय साहसिक कार्य के लिए उनकी पत्नी, स्मृति सिंह को कीर्ति चक्र प्रदान किया गया। यह समारोह राष्ट्रपति भवन में आयोजित किया गया था, जिसका नेतृत्व राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया। यह गर्व का क्षण स्मृति के लिए भावुकता से भरा हुआ था। उन्होंने सभी के समक्ष अपनी कहानी साझा की और बताया कैसे वह अंशुमान के साहसिक कार्यों और सेवाओं को याद करती हैं।
स्मृति सिंह की मार्मिक कथा
स्मृति सिंह ने बताया कि जब उन्हें अंशुमान की मौत की खबर मिली थी, तो वह पूरी तरह से टूट चुकी थीं। उन्हें यह समझ नहीं आ रहा था कि इस दुःख को कैसे सहना है। लेकिन, अंशुमान की बहादुरी और साहस ने उन्हें शक्ति और प्रेरणा दी। उन्होंने बताया कि कैसे कॉलेज के पहले दिन से ही अंशुमान का एक अलग और आकर्षक व्यक्तित्व था। वह अपने स्वभाव की वजह से सभी के दिलों में जगह बनाते थे।
स्मृति ने बताया कि कैसे अंशुमान ने अपनी हर मुश्किल परिस्थिति का साहस के साथ सामना किया। वह हमेशा से ही दूसरों की मदद करने के लिए तत्पर रहते थे, चाहे वह उनकी ड्यूटी में शामिल ही क्यों न हो।
इस समारोह में शामिल अन्य सेना अधिकारियों और स्मृति के समर्थकों ने भी अंशुमान सिंह की वीरता को सलाम किया। उनकी कहानी हर किसी को प्रेरित करती है और उनके बलिदान को हमेशा याद किया जाएगा।
अपने प्यार की कहानी
स्मृति ने उस समय को याद किया जब अंशुमान ने पहली बार उनसे अपने प्यार का इज़हार किया था। वह दिन उनके जीवन का सबसे खास दिन था। उन्होंने बताया कि कैसे अंशुमान उनके लिए हमेशा खास थे, और उनके साथ बिताया हर पल उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण था। अंशुमान ने कभी अपने कर्तव्यों से पीछे नहीं हटे और अपनी जिम्मेदारियों को पूरी ईमानदारी और साहस के साथ निभाया।
आज, स्मृति अकेली हैं लेकिन वह अपने पति के साहस और वीरता को याद कर गर्व महसूस करती हैं। वह अंशुमान की स्मृतियों को जीवित रखने का प्रयास करती हैं और उनके द्वारा बताए गए सिद्धांतों का पालन करती हैं।