पंजाब बंद: MSP की कानूनी गारंटी के लिए किसान आंदोलन जारी, भगत सिंह किसान संगठन की संघर्ष गाथा

पंजाब बंद: MSP की कानूनी गारंटी के लिए किसान आंदोलन जारी, भगत सिंह किसान संगठन की संघर्ष गाथा

पंजाब बंद: MSP की कानूनी गारंटी के लिए किसान आंदोलन जारी, भगत सिंह किसान संगठन की संघर्ष गाथा

पंजाब में किसान आंदोलन की विस्तृत जानकारी

पंजाब में वर्तमान समय में किसान आंदोलन ने एक नया मोड़ ले लिया है। किसान नेता जगजीत सिंह दाल्लेवाल के नेतृत्व में इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी प्राप्त करना है। दाल्लेवाल की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल ने इसे और अधिक तीव्र बना दिया है। 26 नवंबर को शुरू हुई यह हड़ताल अब 35वें दिन में प्रविष्ट हो चुकी है। आंदोलन के कारण पंजाब बंद की घोषणा की गई है और राज्य में जनजीवन प्रभावित हो गया है।

जगजीत सिंह दाल्लेवाल की भूख हड़ताल

जगजीत सिंह दाल्लेवाल की भूख हड़ताल ने पंजाब में किसान आंदोलन को नई ऊर्जा दी है। अपने दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन करते हुए, दाल्लेवाल ने कहा है कि वे सरकार से मांगें पूरी होने तक हड़ताल पर रहेंगे। हालांकि उनकी हालत गंभीर हो चुकी है, उन्होंने चिकित्सा सहायता लेने से इंकार कर दिया है, जिससे राज्य में रोष की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार के इस मामले से निपटने के तरीके पर नाराज़गी जताई है। अदालत ने पंजाब सरकार को निर्देश दिया है कि वे दाल्लेवाल को उचित चिकित्सा सहायता प्रदान करें। इसके लिए आवश्यक होने पर केंद्र से भी सहायता प्राप्त करने की अनुमति दी गई है।

सड़कों और रेल यातायात में अवरोध

सड़कों और रेल यातायात में अवरोध

इस आंदोलन के कारण राज्यभर में सड़कों और रेल यातायात में अवरोध उत्पन्न हुआ है। किसान संगठन जिन्हें साम्यक किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा का समर्थन प्राप्त है, 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर डेरा डाले हुए हैं।

उच्चतम न्यायालय में सुनवाई

वहीं, इस मामले का संज्ञान लेने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य सचिव और पंजाब पुलिस के डीजीपी को आदेशित किया है कि वे अनुपालन शपथ-पत्र दाखिल करें। छुट्टी पीठ जिसमें न्यायमूर्ति सूर्य कांत और सुधांशु धुलिया शामिल हैं, 31 दिसंबर को इस मामले की वर्चुअल सुनवाई करेंगे।

यह आंदोलन न केवल किसानों के लिए बल्कि पूरे प्रदेश के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुका है। सरकार और किसान नेताओं के बीच यह संघर्ष 'कानून बनाम जनता की इच्छाओं' के रूप में भी देखा जा रहा है। किसानों की मांगें वाजिब हैं, और इसके समाधान पर अब पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं।

9 टिप्पणि

  • Sumeer Sodhi

    Sumeer Sodhi

    जनवरी 1 2025

    ये सब नेता तो बस अपनी फेम बढ़ाने के लिए भूख हड़ताल कर रहे हैं। किसानों की जिंदगी नहीं, टीवी पर दिखना है उनका मकसद। असली समस्या तो ये है कि हमारी सरकारें कभी किसान की बात नहीं सुनतीं, और अब जब एक आदमी मर रहा है तो बात बन गई।

  • Vinay Dahiya

    Vinay Dahiya

    जनवरी 3 2025

    ये दाल्लेवाल... बस एक और गुरु है जिसने अपनी बात को अपने शरीर के बल पर जारी रखा है... चिकित्सा से इंकार? ये तो नरसंहार है, न कि संघर्ष। अगर वो सच में जनता के लिए लड़ रहा है, तो अपनी जान बचाए, न कि उसे बर्बाद करे।

  • Sai Teja Pathivada

    Sai Teja Pathivada

    जनवरी 4 2025

    ये सब एक बड़ा कॉन्सिरेप्सी है... सरकार ने इसे जानबूझकर बढ़ाया है ताकि किसानों के बीच अंतर पड़े... और फिर वो बोलेंगे कि ये आंदोलन अलग-अलग दलों में बंट गया... हां भाई, और जब तक तुम एक आदमी को भूखा मार रहे हो, तब तक ये सब नाटक चलता रहेगा 😔

  • Antara Anandita

    Antara Anandita

    जनवरी 6 2025

    MSP की कानूनी गारंटी बिल्कुल जरूरी है। अब तक ये सिर्फ घोषणाएं रही हैं। किसानों को अपनी फसलों का न्यायपूर्ण मूल्य मिलना चाहिए। भूख हड़ताल नहीं, व्यवस्थित वार्ता चाहिए।

  • Gaurav Singh

    Gaurav Singh

    जनवरी 7 2025

    कानून बनाम जनता की इच्छा... बहुत खूबसूरत बात है... लेकिन जब जनता की इच्छा एक आदमी की मौत से जुड़ जाए तो ये अब न्याय नहीं, बल्कि निर्ममता है

  • Priyanshu Patel

    Priyanshu Patel

    जनवरी 8 2025

    दाल्लेवाल जी की हिम्मत देखकर दिल भर गया... लेकिन अब तो सबको एक साथ बैठकर बात करनी चाहिए... ये आंदोलन किसानों के लिए है, न कि टीवी के लिए... बस थोड़ा शांति से बात कर लो दोस्तों 🙏

  • ashish bhilawekar

    ashish bhilawekar

    जनवरी 9 2025

    ये जगजीत सिंह दाल्लेवाल... ये तो असली लड़ाकू है भाई... एक आदमी जिसने अपनी जान देने के लिए तैयार हो गया... इस देश में ऐसे आदमी दुर्लभ हैं... इनकी बात सुनो वरना अगली बार तुम्हारे बेटे को भी बेकार बताया जाएगा 🤬

  • Vishnu Nair

    Vishnu Nair

    जनवरी 9 2025

    इस आंदोलन के पीछे एक डीप स्ट्रक्चर्ड इकोनॉमिक रिस्ट्रक्चरिंग एजेंडा है जिसे राजनीतिक एलीट्स ने सिस्टमिकली डिज़ाइन किया है... जब तक हम MSP को लॉ ऑफ द लैंड में नहीं डालेंगे, तब तक कृषि सेक्टर का अपग्रेड नहीं होगा... और ये सब फार्मिंग सब्सिडी और वैल्यू चेन डिस्टोर्शन का नतीजा है... ये बस शुरुआत है भाई, अब तो इंफ्रास्ट्रक्चर रिफॉर्म्स और डिजिटल मार्केटप्लेस भी आएंगे...

  • Kamal Singh

    Kamal Singh

    जनवरी 11 2025

    हम सब यहाँ एक आदमी के लिए नहीं, बल्कि लाखों किसानों के लिए खड़े हैं। दाल्लेवाल जी की जिद अगर एक न्याय की शुरुआत है, तो ये आंदोलन उनकी जान नहीं, बल्कि हमारे सामान्य अधिकारों का प्रतीक है। अगर एक आदमी के लिए बैठकर बात नहीं कर सकते, तो ये देश किसके लिए है?

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