शारदीय नवरात्रि – क्या है, कब है और कैसे मनाएँ?
नवरात्रि भारत में सबसे बड़ा त्यौहार है जहाँ माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। शारदीय नवरात्रि मुख्यतः ऑक्टोबर‑नवंबर में आती है, पर हर साल तिथि पञ्चांग के अनुसार बदलती है। अगर आप पहली बार मनाने वाले हैं तो घबराएँ नहीं, इस गाइड में सभी ज़रूरी बातें सरल भाषा में बताई गई हैं।
नवरात्रि की तिथियां और महत्त्व
शारदीय नवरात्रि का पहला दिन प्रथमा कहा जाता है, और नौवें दिन अव्यावधि तक चलती है। इस दौरान माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों – शैलपुत्री, ब्रजमुखी, कस्तूरी, आदि – को सम्मानित किया जाता है। नवरात्रि के अंत में विजया दशमी आती है, जिसे दुर्गा पूजन का समापन माना जाता है और कई जगहों पर धूमधाम से जश्न मनाया जाता है।
घर में आसान नवरात्रि पूजा
अगर आपके पास बहुत समय या बड़े मंदिर नहीं हैं, तो घर पर भी सरल पूजा कर सकते हैं:
- एक साफ जगह चुनें, जहाँ आप एक छोटा मंडप या अलमारी पर रोटी और पंखू को रख सकें।
- माँ दुर्गा की मिट्टी की मूरत या फोटो लगाएँ।
- साफ़ शुद्ध पानी, तुलसी के पत्ते, हल्दी और चावल रखें।
- प्रत्येक दिन माँ को हल्का फल, चावल, दही या मिठाई अर्पित करें।
- सप्ताह के प्रत्येक दिन एक विशेष मंत्र जपें – जैसे "ॐ दुर्गायै नमः"।
पूजा के बाद थोड़ा सा तिल के लड्डू या बिस्कुट बांटें, इससे घर में खुशहाली बनी रहती है।
अगर आप चाहते हैं कि उत्सव में रंग‑रूप बढ़े, तो घर को रंगीन रंजक, फूलों और दीयों से सजाएँ। छोटे‑छोटे पन्ने और कागज के पंखे भी लटकाएँ – ये दिखने में सुंदर होते हैं और बजते हुए ऊर्जा बढ़ाते हैं।
नवरात्रि के समय कई लोग गरिमापूर्ण व्रत रखते हैं। अगर आप व्रत रखना चाहते हैं तो हल्का फल, चपाती, दाल या कुटा के साथ दालचीनी या शहद मिलाकर खा सकते हैं। जरूरी है कि आप अपने शरीर को पर्याप्त पानी दें और आराम करें।
सवाल अक्सर आते हैं – "क्या नवरात्रि में माँ दुर्गा का स्मरण सच्चे मन से करना चाहिए?" हाँ, सच्चा भाव ही सबसे बड़ी पूजा है। दरअसल, भले ही आप बड़े मंदिर न जाएँ, अगर दिल से माँ को याद करें तो वही सच्ची भक्ति कहलाएगी।
अंत में, इस नवरात्रि को अपने परिवार के साथ मिलकर मनाएँ। आप बच्चों को दुर्गा के कहानी सुनाएँ, साथ में कलिया के पकवान बनाएँ और रात में दीया जलाते हुए सब मिलकर गीत गाएँ। ऐसा करने से न केवल उत्सव का माहौल बना रहेगा, बल्कि घर में एकता और प्यार भी बढ़ेगा।
शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन 6 अक्टूबर 2024 को माँ कूष्मांडा की पूजा होती है। यह दिन देवियों की चतुर्थ रूप की आराधना का है जो ब्रह्मांड की सृष्टिकर्त्री मानी जाती हैं। उनका प्रिय रंग नारंगी होता है, जो ऊर्जा और जीवन शक्ति का प्रतीक है। भक्त उनके लिए नारंगी फल और वस्त्र चढ़ाते हैं। कहा जाता है कि माँ कूष्मांडा के आशीर्वाद से सभी समस्याओं का समाधान होता है और जीवन में खुशहाली आती है।
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