पीएम मोदी के 'परीक्षा पे चर्चा' में केरल की छात्रा ने किया हिंदी कविता का जादू
परीक्षा का तनाव नहीं, नया उत्सव है संदेश
फरवरी 10, 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वार्षिक पहल 'परीक्षा पे चर्चा' का आयोजन हुआ जिसमें केरल की छात्रा आकांक्षा ने अपनी बेमिसाल हिंदी कविता से सभी का दिल जीत लिया। यह आयोजन दिल्ली के सुंदर नर्सरी में हुआ, जो एक नयी सोच के साथ परीक्षाओं को तनावमुक्त उत्सव के रूप में देखने की प्रेरणा देता है।
आकांक्षा का हिंदी प्रेम इस बातचीत का केंद्र बिंदु बना जब उन्होंने अपनी हिंदी में कविता 'स्याही जवाब लिख रही है' सुनाई। यह कविता न सिर्फ उनके शब्दों में बसी उनकी भावनाओं को प्रकट करती है बल्कि यह स्वयं अभिव्यक्ति और आत्म अवलोकन का भी माध्यम बनकर सामने आई। जब उन्होंने कहा, 'इतना शोर है इन बाज़ारों में... क्यों तू अपनी क़लम लेकर बैठा है फिर एक ग़ज़ल लिखने', तब मानो उस एक पल के लिए वातावरण शांति में डूब गया।
अकादमिक पढ़ाई से परे जुनून का महत्व
प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि अकादमिक पढ़ाई के अलावा भी छात्रों के जिन्दगी में जुनून होना आवश्यक है। उन्होंने छात्रों को परीक्षाओं को 'त्योहार' के रूप में देखने की प्रेरणा दी और उनके चिंता रहित अध्ययन के लिए प्रेरित किया।
इस बार के आयोजन ने पारंपरिक शैली से हटकर सुंदर नर्सरी में इंटरैक्टिव सेशन्स का मंच दिया, जहाँ छात्र देसी खेलों, योग और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में भाग ले रहे थे। इस कार्यक्रम में 3 करोड़ से अधिक छात्रों ने भाग लिया, जो भारत के विभिन्न कोनों से 1.42 करोड़ छात्र, 12.81 लाख शिक्षक और 2.94 लाख विद्यालयों के रूप में दर्ज हुए।
आकांक्षा की उपस्थिति इस कार्यक्रम में सांस्कृतिक एकता और भाषाई विविधता का एक मजबूत संदेश लेकर आई। उनके हिंदी ज्ञान ने सांस्कृतिक फासले को पाट दिया और मोदी की व्यापक सोच को प्रकट किया कि कैसे भाषा एकता का सेतु बन सकती है। उनकी कविता एक आत्म विश्लेषण और रचनात्मक खोज की अभिव्यक्ति थी, जिसने इस आयोजन के थीम के साथ पूरी तरह सामंजस्य बिठाया।
19 टिप्पणि
rudraksh vashist
फ़रवरी 12 2025बस एक लड़की ने कविता सुनाई और पूरा देश रुक गया। ये ही तो असली शिक्षा है।
Archana Dhyani
फ़रवरी 13 2025क्या आपने कभी सोचा कि ये सब सिर्फ एक प्रचार ट्रिक है? एक केरल की छात्रा की कविता को इतना बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने का मतलब है कि हम भाषा के बहिष्कार को भूल जाएं। ये नहीं कि हिंदी का विश्व स्तरीय विकास हुआ है, बल्कि ये कि एक छोटी सी घटना को राष्ट्रीय आयोजन में बदल दिया गया। इसका असली अर्थ तो ये है कि हम अपनी असली समस्याओं से भाग रहे हैं।
Guru Singh
फ़रवरी 14 2025आकांक्षा की कविता में 'स्याही जवाब लिख रही है' वाला पंक्ति बहुत गहरी है। ये सिर्फ कविता नहीं, ये एक शिक्षा का संदेश है। परीक्षा तो बस एक प्रक्रिया है, असली जीत तो वो है जब आप अपने अंदर की आवाज़ सुन पाएं।
Sahaj Meet
फ़रवरी 15 2025मैंने अपने गाँव में भी एक लड़की देखी थी जो हिंदी में गजल लिखती थी और उसे सब पढ़ते थे। ये कोई नयी बात नहीं है, बस अब इसे मीडिया ने दिखाना शुरू कर दिया। असली बात तो ये है कि हम अपने छोटे छोटे ताले को क्यों नहीं देखते जो हर गाँव में हैं?
Madhav Garg
फ़रवरी 16 2025हिंदी कविता के माध्यम से राष्ट्रीय एकता का संदेश देना बिल्कुल सही है। ये नहीं कि किसी राज्य को दिखाना है, बल्कि ये कि भाषा किसी एक व्यक्ति के दिल से दूसरे दिल तक कैसे पहुँच सकती है। ये आयोजन एक नए युग की शुरुआत है।
Sumeer Sodhi
फ़रवरी 16 2025ये सब बहुत अच्छा लगता है... लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस आयोजन में शिक्षकों की तनख्वाह कितनी है? और कितने स्कूलों में पानी भी नहीं है? एक कविता से बच्चों की भूख नहीं बंधेगी। आप जो भी बात कर रहे हैं, वो सब तो बस फिल्मी नाटक है।
Vinay Dahiya
फ़रवरी 17 2025अरे भाई, ये सब बहुत अच्छा है... लेकिन क्या आपने देखा कि इस आयोजन के लिए कितना बजट खर्च हुआ? 3 करोड़ छात्रों के लिए जो भी खर्च हुआ, वो अगर सिर्फ 10% भी स्कूलों में बुनियादी ढांचे के लिए लगाया जाता तो कितना असर होता? ये सब तो बस लोगों को भ्रमित करने के लिए है।
Sai Teja Pathivada
फ़रवरी 19 2025क्या आपको पता है कि ये कविता असल में एक AI ने लिखी थी? और फिर उस लड़की को उसे याद करवाया गया? ये सब एक बड़ा अभियान है। जानबूझकर बनाया गया एक इमोशनल ड्रामा। आप लोग बस इसे बिना सोचे पसंद कर रहे हैं। ये नहीं कि आपको भावनाएं नहीं आतीं, बल्कि आपको ये दिखाया जा रहा है कि कैसे भावनाएं आनी चाहिए। 😏
Antara Anandita
फ़रवरी 20 2025कविता के बाद जो शांति आई, वो सचमुच अनोखी थी। जब बच्चे अपने दिल की बात कहने लगते हैं, तो परीक्षा का तनाव खुद गायब हो जाता है। ये एक बहुत बड़ा संदेश है।
Gaurav Singh
फ़रवरी 22 2025अरे ये तो बहुत सुंदर बात है... लेकिन क्या आपको लगता है कि ये आयोजन असल में किसी छात्र के लिए बदलाव ला सकता है या बस एक फोटो शूट है? इतना धूमधाम और फिर भी लाखों स्कूलों में बिजली नहीं है। ये तो बस एक नाटक है।
Priyanshu Patel
फ़रवरी 23 2025ये कविता सुनकर मेरी आँखें भर आईं। मैंने कभी नहीं सोचा था कि हिंदी में इतनी गहराई हो सकती है। अब मैं अपने भाई को भी कविता लिखने के लिए प्रेरित कर रहा हूँ। ये बदलाव शुरू हो गया है। ❤️
ashish bhilawekar
फ़रवरी 24 2025अरे भाई ये लड़की तो असली जादूगर है! उसकी कविता ने मेरे दिल को छू लिया। जब मैंने उसकी आवाज़ सुनी तो मुझे लगा जैसे मेरी बचपन की दादी बोल रही हो। ये कोई कविता नहीं, ये तो आत्मा की आवाज़ है। इस लड़की को नोबेल पुरस्कार देना चाहिए। ये तो बस एक लड़की नहीं, ये एक आंदोलन है।
Vishnu Nair
फ़रवरी 24 2025ये आयोजन एक सिस्टमिक रिफॉर्म का एक लक्षण है, जिसमें परीक्षा अधिगम के बजाय मूल्यांकन के रूप में कार्य करता है। ये एक न्यूरोप्लास्टिसिटी-आधारित शिक्षा मॉडल का प्रतीक है जहाँ भाषाई अभिव्यक्ति को कॉग्निटिव फ्रीडम के रूप में डिफाइन किया जाता है। इसका अर्थ है कि जब बच्चे अपने भावनात्मक इंटेलिजेंस को लिखित रूप देते हैं, तो वे अपने लिम्बिक सिस्टम को रिसेट करते हैं।
Kamal Singh
फ़रवरी 25 2025मैंने अपने गाँव के बच्चों को भी इस कविता की आवाज़ सुनाई। उन्होंने कहा कि अब वे भी लिखना चाहते हैं। ये बदलाव छोटे से शुरू होता है, लेकिन बड़ा होता है। आपको लगता है कि ये बस एक कविता है? नहीं, ये एक नई पीढ़ी की शुरुआत है।
Jasmeet Johal
फ़रवरी 25 2025कविता अच्छी थी
Abdul Kareem
फ़रवरी 26 2025मैंने ये कविता अपने दोस्त के साथ सुनी। उसने कहा कि इसमें एक ऐसी शांति है जो हर दिन के शोर को धो देती है। ये बस एक लड़की नहीं, ये एक अहसास है।
Namrata Kaur
फ़रवरी 28 2025बहुत अच्छी कविता थी। बच्चे भी इस तरह से लिखने लगें तो बहुत अच्छा होगा।
indra maley
मार्च 1 2025कविता एक आत्मा की चुप्पी है। जब सारा शोर रुक जाता है, तो वह आवाज़ सुनाई देती है। ये आयोजन नहीं, ये एक ध्वनि है।
Kiran M S
मार्च 2 2025हिंदी कविता बहुत अच्छी थी... लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस लड़की के पास शायद एक बहुत बड़ा पब्लिसिस्ट है? ये सब एक ब्रांडिंग रणनीति है। असली शिक्षा तो वो है जो किसी के घर में होती है, न कि किसी स्टेज पर।