आंशिक सौर ग्रहण क्या है?
आंशिक सौर ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पूरा सूर्य नहीं, लेकिन कुछ हिस्सा कवर कर देता है। इसका मतलब है कि आप सूरज का कुछ भाग देख सकते हैं, लेकिन पूरी तरह नहीं। इस दौरान सूरज का कुछ हिस्सा अंधकार में डूब जाता है और बाकी हिस्सा चमकता रहता है। कई लोगों को इस दृश्य में रोचकता लगती है, लेकिन याद रखें कि सीधे सूरज को देखना आँखों के लिए खतरनाक हो सकता है।
आंशिक सौर ग्रहण कब और कहाँ दिखेगा?
आंशिक सौर ग्रहण हर साल नहीं, बल्कि कुछ सालों में एक या दो बार आता है। भारत में अक्सर अक्तूबर या फ़रवरी में यह देखा जाता है। 2025 में 14 अक्टूबर को एक बड़ा आंशिक ग्रहण दिखेगा, जिसमें उत्तर भारत में लगभग 60% सूर्य कवर रहेगा। आप स्थानीय समाचार या सरकारी एएसटीरो प्रमोशन साइट से तिथियां और दृश्यता का पता लगा सकते हैं।
सुरक्षित तौर पर ग्रहण कैसे देखें?
सीधे सूरज को देखना आँखों को नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए सुरक्षा उपाय जरूरी हैं। सबसे आसान तरीका है सौर फिल्टर वाले झरोखे या विशेष इन्फ्रारेड चश्मा इस्तेमाल करना। साधारण धूप के चश्मे, प्रिज़्म या कैमरा लेंस से सूरज को देखना सुरक्षित नहीं है। आप घर के विंडो पर कागज पर प्रिंटेड सौर फिल्टर लगाकर भी देख सकते हैं, बस कागज को हमेशा साफ रखें।
अगर आपके पास सौर फ़िल्टर नहीं है, तो आप फोटोवॉल्टाइक थ्योरी का इस्तेमाल करके सूर्य को कैमरे के माध्यम से देख सकते हैं, लेकिन फिर भी स्क्रीन के साथ ही रखें। बच्चों को हमेशा बड़े लोगों की निगरानी में ही ग्रहण दिखाएँ। अगर आँखों में कोई असहजता महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।
ग्रहण देखना सिर्फ दृश्य अनुभव नहीं, बल्कि विज्ञान सीखने का अच्छा अवसर है। आप इस मौके पर सूर्य की सतह के हिस्से को देखकर फोटो खींच सकते हैं, लेकिन फिर भी फिल्टर का उपयोग अनिवार्य है। इससे आप बाद में अपनी यादों को सोशल मीडिया या दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं।
सारांश में, आंशिक सौर ग्रहण एक शानदार प्रकृति का नजारा है, पर इसे सही साधनों से देखना जरूरी है। सही तिथियों को नोट करें, सुरक्षा चश्मा तैयार रखें और दोस्तों या परिवार के साथ इस अद्भुत दृश्य का आनंद लें।
21 सितंबर 2025 को 17:29‑21:53 UTC तक गले लगने वाला आंशिक सौर ग्रहण 85.5 % तक सूर्य को ढकता है। यह कन्या राशि के उल्टरफाल्गुनी नक्षत्र में घटित होता है और हिन्दू चंद्र कैलेंडर में अमावस्या के साथ मेल खाता है। वैज्ञानिक और ज्योतिषीय दोनों दृष्टिकोण से इस घटना का विशेष महत्व है, जिससे विभिन्न राशि‑धरों पर अलग‑अलग प्रभाव पड़ने की आशंका है।
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