दीपावली – रौशनी, खुशी और परम्पराओं का पूर्ण गाइड
जब बात दीपावली की होती है, तो तुरंत घर‑घर में दीप जलाकर अंधकार पर प्रकाश की जीत का जश्न मनाने वाला प्रमुख हिन्दु त्योहार याद आता है। इसे दीपोत्सव भी कहा जाता है। इस कारण से हर साल अक्टूबर‑नवंबर में लोग अपने घरों को साफ़ करके, रंग-बिरंगे लाइट्स और सांता‑जैसे दीप लगाते हैं। दीपावली केवल एक तारीख नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और आर्थिक जींदगी का प्रतीक है।
इस महाप्रसंग का त्योहार सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों का समूह के रूप में देखा जा सकता है, जिसमें पूजा देवताओं की सम्मानित अनुष्ठान एक मुख्य आधार है। घरों में गणेश, लक्ष्मि और कर्तिकेसर की आरती गाई जाती है, साथ ही रथ यात्रा, फूलों की माला और विशेष पकवानों की तैयारी भी होती है। यह परम्परा नयी पीढ़ी को सांस्कृतिक ज्ञान देती है और बुजुर्गों को अपने बचपन की याद दिलाती है।
पूजन के बाद मिठाई की टेबल पर मिठाई बुरा के रूप में नहीं, बल्कि खुशी और समृद्धि का प्रतीक आती है। लड्डू, कसारी, रसमलाई और गजके जैसे व्यंजन हर घर में तैयार होते हैं। इन मिठाइयों का वितरण पड़ोसियों और मित्रों के बीच प्यार बढ़ाता है, जिससे सामाजिक बंधन मजबूत होते हैं। साथ ही, ये स्वादिष्ट व्यंजन स्थानीय व्यावसायिकों को भी बढ़ावा देते हैं, इसलिए दीपावली का आर्थिक पहलू भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
रात की रौनक में आतिशबाज़ी ध्वनि‑प्रकाश का उत्सव जो चमक और ध्वनि से भरपूर होता है को जोड़ना अनिवार्य हो गया है। हालांकि हाल के वर्षों में सुरक्षा कारणों से कई शहरों में फटाकों पर प्रतिबंध लगा है, फिर भी सार्वजनिक गगन-समारोह और नियंत्रित शो लोगों को उत्सव की भावना देते हैं। इस पर ध्यान देना जरूरी है कि सुरक्षित और पर्यावरण‑हितैषी तरीके अपनाकर ही इस परम्परा को आगे ले जाया जाए।
दीपावली की मुख्य रीतियाँ और आधुनिक बदलाव
समय के साथ रीति‑रिवाज़ बदलते रहे हैं, परन्तु मूल सिद्धांत बना रहता है: अंधकार पर प्रकाश की जीत, बुराई पर अच्छाई की जीत। आज के युवा डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर पटाखे के बजाय लाइट शो और डिनर पार्टियों को पसंद करते हैं, जबकि छोटे—बड़े सभी दीयों को सजाने में नया रुझान देखे जा रहे हैं, जैसे कि LED साइकलोन और सौर‑ऊर्जा वाले दीपों का उपयोग। यही बदलाव इस बात को दर्शाता है कि दीपावली स्थिर नहीं, बल्कि अनुकूलनशील है; यह परम्परा को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़कर सामाजिक और पर्यावरणीय जिम्मेदारी को भी साफ़-सुथरा बनाता है।
जब आप इस पेज के नीचे दी गई ख़बरों और लेखों को पढ़ेंगे, तो आपको दिखेगा कि दीपावली के विभिन्न पहलुओं—राजनीति, व्यापार, सामाजिक वृत्तियों—पर कैसे असर पड़ता है। हमें आशा है कि इस परिचय ने आपको त्योहार की गहरी समझ दी होगी और आप आगे पढ़ते समय विचार करेंगे कि कौन‑से पहलू आपके लिए सबसे उपयोगी हैं। अब आगे बढ़िए, यहाँ प्रस्तुत लेखों में दीपावली की रंगीन दुनिया को और विस्तार से जानिए।
अक्टूबर 2025 में दीपावली, छठ महापर्व, करवा चौथ, सदार पटेल और इंदिरा गांधी की पुण्यतिथियों सहित 31 प्रमुख व्रत‑त्योहार मनाए जाएंगे, जो सामाजिक और आर्थिक दोनों पहलुओं को प्रभावित करेंगे।
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