गणतंत्र दिवस 2025: क्या खास है?
गणतंत्र दिवस हर साल 26 जनवरी को मनाया जाता है। यह भारत के संविधान को अपनाने की纪念 है। इस दिन लोग ध्वज फहराते हैं, स्कूल‑कॉलेज में शैक्षिक कार्यक्रम होते हैं और राष्ट्रभक्ति गीत गाते हैं। अगर आप इस जश्न को और बेहतर समझना चाहते हैं तो पढ़ते रहिए।
गणतंत्र दिवस का इतिहास
भारत ने 26 जनवरी 1950 को अपना संविधान लागू किया। इस वजह से यह दिन ‘गणतंत्र दिवस’ कहलाया। पहले साल इस दिन लोह परिधान की एक बड़ी परेड आयोजित हुई, और तब से हर साल नई थीम के साथ राजपथ पर शौर्य प्रदर्शन होता है। इतिहास बताता है कि इस दिन देश की आज़ादी के बाद की सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।
आज के समारोह और तैयारी
राष्ट्रपति भवन के सामने प्रमुख परेड होती है, जहाँ भारतीय सेना, वायु सेना और नौसेना के जवान भाग लेते हैं। स्कूलों में बच्चे ध्वज लेकर मार्च करते हैं और छोटे‑बड़े गाने गाते हैं। कई शहरों में सांस्कृतिक कार्यक्रम और पटाखे होते हैं, जिससे माहौल उत्सवपूर्ण बन जाता है।
यदि आप इस दिन बाहर जाना चाहते हैं तो जल्दी से तैयार रहें। राजपथ पर भीड़ अधिक होती है, इसलिए सार्वजनिक परिवहन का उपयोग बेहतर रहेगा। समय पर पहुंचने के लिए आयोजन की आधिकारिक वेबसाइट या स्थानीय समाचार देखें।
परेड के अलावा हर घर में राष्ट्रीय ध्वज फहराना भी अनिवार्य है। ध्वज सही तरीके से लगाना चाहिए – सफ़ेद पट्टी ऊपर, हरा नीचे और निचले हिस्से में केसरी धारा। बच्चों को इस रिवाज की समझ देना भी जरूरी है ताकि वे गर्व महसूस कर सकें।
गणतंत्र दिवस पर कुछ खास बातें याद रखें: 1) यह दिन संविधान अपनाने की याद दिलाता है, 2) शांति और एकता के सन्देश को फैलाता है, 3) देश की प्रगति में हर नागरिक की भूमिका को दर्शाता है। इन बातों को समझकर आप इस उत्सव को और गहराई से मना सकते हैं।
सूचनात्मक लेखों की तलाश में हैं? हमारी साइट पर गणतंत्र दिवस से जुड़े कई लेख उपलब्ध हैं, जैसे परेड के पीछे की तैयारियां, राष्ट्रपति के भाषण की मुख्य बातें और भारत की प्रगति की कहानियां। आप इन लेखों को पढ़कर अपने ज्ञान को बढ़ा सकते हैं।
अंत में, चाहे आप बड़े हों या छोटे, गणतंत्र दिवस एक ऐसा अवसर है जो हमें एकजुट करता है। इस दिन को अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर मनाएँ, राष्ट्रीय ध्वज को सलाम करें और भारत के भविष्य पर गर्व महसूस करें।
भारत ने 76वां गणतंत्र दिवस मनाते हुए नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर एक भव्य परेड का आयोजन किया, जिसमें सैन्य ताकत और सांस्कृतिक धरोहर की विविधता को प्रदर्शित किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। परेड की मुख्य विशेषता 'शशक्त और सुरक्षित भारत' पर आधारित त्रिसेवाएं थीं, जिसमें भारत की सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया गया।
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