S-400 क्या है? भारत की रक्षा में रूसी एंटी‑एयर सिस्टम की पूरी जानकारी
अगर आप ‘S-400’ नाम सुनते हैं तो समझ लीजिए ये एक बड़ा एंटी‑एयर मिसाइल सिस्टम है, जो रूसी कंपनी Almaz‑Antey ने बनाया है। इसका काम है किसी भी तरह के हवाई लक्ष्य—जैसे लड़ाकू विमान, बॉम्बर, ड्रोन—को दूर से पकड़ कर नष्ट करना। भारत में इस सिस्टम को खरीदने की खोज कई सालों से चल रही है, इसलिए आज हम इसे आसान भाषा में तोड़‑मरोड़ के समझेंगे।
S-400 की मुख्य विशेषताएँ
S-400 की सबसे बड़ी ताकत उसकी रेंज है। ये 40 km से 400 km तक के दूरी वाले targets को मार सकता है, यानी अगर कोई दुश्मन 200 km दूर से प्रवेश करे तो भी इसको रोकना संभव है। इस सिस्टम में विभिन्न प्रकार की मिसाइलें होती हैं—30N6, 48N6, 9M96—जो अलग‑अलग उचाई और गति वाले aircraft को ट्रैक कर सकती हैं। एक बार लक्ष्य lock हो जाए तो सटीकता बहुत हाई होती है, जिससे collateral damage काफी कम रहता है।
सेंसर पैकेज भी दमदार है। S-400 में दो मुख्य रडार होते हैं: एक ‘बायोटिक’ रडार जो 500 km तक की दूरी से targets की पहचान करता है, और दूसरा ‘इंटेंसिटी’ रडार जो शूरु‑शूरु में फॉलो‑अप करता है। ये रडार एक साथ कई targets को ट्रैक कर सकते हैं, इसलिए एक ही समय में कई हवाई हमलों को सटा‑सटा पहचानना आसान हो जाता है।
भारत में S-400 का भविष्य
भारत ने 2018 में S-400 की आधिकारिक खरीद की इच्छा बताई थी। लेकिन इस बातचीत में कई राजनीतिक, आर्थिक और तकनीकी जटिलताएँ आयीं। सबसे बड़ी बात है कि US ने भारत पर ‘CAATSA’ (Counter‑Arms Trade Sanctions Act) के तहत पेनैल्टी लगाने की धमकी दी, क्योंकि S-400 रूसी सामान है। फिर भी, भारत ने कहराहे तरीकों से इस पेनैल्टी को कम करने की कोशिश की है, जैसे भारत‑रूस के बीच व्यापार को बढ़ावा देना।
अगर S-400 आखिरकार भारत में तैनात हो जाता है, तो यह हमारे वायुमार्ग की सुरक्षा में काफी सुधार करेगा। संपूर्ण देश में 6‑7 रणनीतिक बेसों पर ये सिस्टम रखा जा सकता है—जैसे राजस्थान, कश्मीर, मध्य भारत—ताकि किसी भी दिशा से आने वाले हवाई उलटफेर को रोका जा सके। साथ ही, हमारे मौजूदा ‘राक्षा’ और ‘डायो’ जैसी सिस्टमों के साथ यह एक बैंडेड डिफेंस नेटवर्क बना देगा, जिससे कई लेयर की सुरक्षा मिलती है।
लेकिन कुछ चुनौतियां भी हैं। S-400 का रख‑रखाव, स्पेयर पार्ट्स और ट्रेनिंग काफी महंगी है। इसके अलावा, अगर हम इस सिस्टम को लागू करते हैं तो हमें मौजूदा radar और command‑control इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी अपग्रेड करना पड़ेगा, ताकि पूरा नेटवर्क सही तरह से काम करे। यही कारण है कि भारत अभी भी इस प्रोजेक्ट को ‘विचार‑विमर्श’ के मोड में रख रहा है।
आखिरकार, यदि आप ‘S-400’ की बात सुनते हैं और सोचते हैं कि क्या ये हमारे देश के लिए फायदेमंद है, तो ऊपर दिया गया सारांश मदद करेगा। इस सिस्टम की रेंज, सटीकता और मल्टी‑टारगेट क्षमता इसे एक बेहतर एंटी‑एयर डिफेंस बनाती है, और भारत के लिए यह एक रणनीतिक एसेट हो सकता है—अगर सही डिप्लोमैटिक और आर्थिक समझौते बन जाएँ।
प्रधानमंत्री मोदी के अदांपुर एयरबेस पर अचानक पहुंचने से पाकिस्तान के झूठे दावों की पोल खुल गई। S-400 सिस्टम नष्ट होने के दावों को मोदी ने मौके पर खारिज किया और चेतावनी दी कि भारत की संप्रभुता पर हुई कोई भी चोट भारी तबाही लाएगी। ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह दौरा सैन्य तैयारियों का स्पष्ट प्रदर्शन रहा।
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