22 साल बाद पैरा एथलेटिक्स में मेडल जीतकर इतिहास रचने वाले जवान हवलदार होकाटो सेमा
हवलदार होकाटो सेमा: अद्वितीय दृढ़ता की कहानी
पेरिस पैरालम्पिक्स 2024 में जब हवलदार होकाटो होतोज़े सेमा ने पुरुषों की शॉट पुट F57 श्रेणी में कांस्य पदक जीता, तो यह सिर्फ एक खेल की जीत नहीं थी। यह 22 साल की एक लंबी और कठिन यात्रा की सफलता का प्रतीक था। नागालैंड के इस 40 वर्षीय भारतीय सेना के जवान ने अद्वितीय साहस, दृढ़ता और प्रतिबद्धता का उदाहरण प्रस्तुत किया।
2002: एक कठिन शुरुआत
साल 2002 में अक्टूबर के महीने में, जब जम्मू-कश्मीर के चौकिबल में एक आतंकवाद विरोधी मिशन के दौरान लैंडमाइन विस्फोट हुआ, तो होकाटो सेमा ने अपना बायां पैर खो दिया। यह घटना उनके जीवन को बदल देने वाला क्षण था। सेना के विशेष बलों में शामिल होने का उनका सपना बिखर गया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
नई शुरुआत की राह
शारीरिक और मानसिक चुनौतियों के बावजूद, होकाटो सेमा ने हारने से मना कर दिया। उन्होंने अपने लिए एक नई दिशा की तलाश की और यह दिशा उन्हें पैरालम्पिक खेलों की दुनिया में ले गई। साल 2016 में, 32 साल की उम्र में उन्होंने सेना के पैरालम्पिक नोड, बीईजी सेंटर, पुणे में शॉट पुट का अभ्यास शुरू किया। सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें इस खेल में अपनी छाप छोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया।
करियर में उच्छिष्ट
जल्दी ही होकाटो सेमा ने खुद को F57 वर्ग में प्रतिष्ठित एथलीट के रूप में स्थापित कर लिया। उन्होंने अपने कैरियर में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल कीं, जिनमें 2022 मोरक्को ग्रां प्री में रजत पदक और एशियाई पैरा खेलों में कांस्य पदक शामिल हैं। 2024 विश्व चैंपियनशिप में भले ही वे मेडल से चूक गए और चौथे स्थान पर रहे, लेकिन उनकी दृढ़ता और संकल्प में कोई कमी नहीं आई।
पेरिस पैरालम्पिक्स में ऐतिहासिक जीत
पेरिस पैरालम्पिक्स में हवलदार होकाटो सेमा का पदार्पण हुआ और उन्होंने कांस्य पदक अपने नाम किया। उनके चौथे प्रयास में 14.65 मीटर का थ्रो उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था, जिसने उनके पुराने व्यक्तिगत बेस्ट 14.49 मीटर को भी पार कर लिया। ईरान के यासिन खोस्रवि ने 15.96 मीटर का थ्रो कर स्वर्ण पदक जीता, जबकि ब्राजील के थियागो डॉस सैंटोस ने 15.06 मीटर के थ्रो के साथ रजत पदक जीता।
प्रधानमंत्री की सराहना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने होकाटो सेमा की इस ऐतिहासिक जीत की सराहना की और इसे राष्ट्र के लिए गर्व का क्षण बताया। सेमा की ट्रेनिंग और जीविका के खर्च क्हेलो इंडिया पहल और राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (NCoE) योजना द्वारा समर्थन किया गया था।
दृढ़ता की कहानी
होकाटो सेमा की कहानी केवल एक एथलीट के संघर्ष और सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि यह उस अद्वितीय मानव संकल्प की कहानी है, जो विपरीत परिस्थितियों में भी मुठभेड़ करने की क्षमता रखता है। यह कहानी हमें प्रेरित करती है कि चाहे कितनी भी बड़ी बाधा क्यों न हो, यदि हमारे पास दृढ़ता और संकल्प है, तो हम किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।