दिल्ली हाई कोर्ट ने नागरुजना को बेवजह इमेज व वीडियो के दुरुपयोग से मिली कड़ी सुरक्षा
केस की पृष्ठभूमि और दायर शिकायत
तेलुगु सिनेमा के दिग्गज Nagarjuna ने अपनी इमेज, आवाज़ और व्यक्तित्व अधिकारों के दुरुपयोग को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की। उनके वकीलों – वरिष्ठ वकील वैभव गगर और वकील प्रवीण आनंद, ध्रुव आनंद – ने तीन मुख्य पहलुओं को उजागर किया: पोर्नोग्राफिक वेबसाइटें उनकी छवि को बिना अनुमति के इस्तेमाल कर रही थीं, उनके व्यक्तित्व पर आधारित अनधिकृत मर्चेंडाइज़ बेचे जा रहे थे, और यूट्यूब पर AI‑जनित वीडियो उनके लक्षणों को गलत तरीके से प्रस्तुत कर रहे थे।
पेटीशन में बताया गया कि इन वेबसाइटों ने न सिर्फ नागरुजना की गरिमा को ठेस पहुंचाई, बल्कि उनके फ़िल्मी ब्रांड को भी आर्थिक नुकसान पहुंचाया। एक वकील मॉडल ने अदालत को दिखाते हुए कहा कि AI‑जनित सामग्री को यूट्यूब की नीति के तहत प्रशिक्षित किया जा रहा है, जिससे इस अवैध सामग्री को और व्यापक रूप से फैलाया जा रहा है।

न्यायालय का फैसला और उसका व्यापक प्रभाव
जज तेजस करिया ने याचिका पर सुनवाई के बाद तुरंत 14 विशिष्ट यूआरएल को हटाने का आदेश दिया। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि डिजिटल युग में ऐसे अधिकारों की सुरक्षा के बिना मौलिक मानव गरिमा और निजता का कोई आश्रय नहीं बचता। अदालत ने मध्यस्थों – जैसे वेबसाइटों और कंटेंट‑हॉस्टिंग प्लेटफ़ॉर्म – को बताया कि एक बार इन URLs की पहचान हो जाने पर उन्हें तुरंत बंद करना अनिवार्य है।
यह निर्णय केवल नागरुजना के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे भारतीय सिनेमा जगत के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है। पिछले समय में, जयपुर के बॉलिवुड अभिनेता जैकी श्रॉफ (मई 2024) और हाल ही में अभिषेक बच्चन, ऐश्वर्या राय बच्चन, अमिताभ बच्चन, अनिल कपूर एवं फिल्म निर्माता करन जोहर ने भी इसी प्रकार के राहत के लिए हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था। कोर्ट ने लगातार कहा है कि बिना अनुमति के सेलिब्रिटी की व्यक्तिगत विशेषताओं का उपयोग निजता के उल्लंघन के रूप में दर्ज किया जाएगा।
अदालत ने विशेष रूप से AI‑टेक्नोलॉजी के दुरुपयोग पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भविष्य में इस तरह के जेनरेटिव मॉडल से ग़लत जानकारी, भ्रामक इमेज व वीडियो बनना आम बात बन सकती है, और इस दिशा में कड़ी नियामक कार्रवाई आवश्यक है। इस सिलसिले में, मात्र हटाने के निर्देश न्यूनतम मानकर, मध्यस्थों को सतर्क रहने और जब भी कोई नए उल्लंघन का पता चलें, तुरंत कार्रवाई करने की जिम्मेदारी सौंपी।
क्लीनिकली, इस फैसले ने दो प्रमुख कानूनी सिद्धांतों को दृढ़ किया: प्रथम, व्यक्तित्व अधिकार (personality rights) को धर्म, संस्कृति और व्यावसायिक हितों से ऊपर रखा गया; द्वितीय, सिविल कोड में ‘परायोजना’ (misappropriation) के तहत दायित्व स्थापित किया गया। इस प्रकार, ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म को न केवल टैक्स, कॉपीराइट बल्कि सार्वजनिक हस्तियों के इमेज राइट्स का भी सम्मान करना पड़ेगा।
अभियुक्तों की ओर से इस बात को लेकर कहा गया कि वे भविष्य में AI‑जनित कंटेंट के प्रयोग पर विशेष लाइसेंस प्राप्त करेंगे और किसी भी प्रकार का दुरुपयोग नहीं होने देंगे। साथ ही, अदालत ने यह भी कहा कि यदि कोई मध्यस्थ इन्हें हटाने में विलंब करता है, तो उनके विरुद्ध जुर्माना लागू किया जा सकता है।
डिजिटल इंडिया की दिशा में बढ़ते कदमों के बीच, इस तरह के न्यायिक निर्णय नागरिकों को यह भरोसा दिलाते हैं कि भारत में इंटरनेट पर व्यक्तिगत छवि को सुरक्षित रखने के लिये क़ानून मौजूद है। आने वाले दिनों में, तकनीकी कंपनियां अपने एलगोरिदम को इस फ़्रेमवर्क के अनुसार ढालने की कोशिश करेंगी, जिससे सेलिब्रिटी इमेज राइट्स दोबारा नहीं लुप्त होगी।