मुख्य चुनाव आयुक्त की राहुल गांधी को खुली चुनौती: 'चुनाव आयोग पर आरोप साबित करें या माफी मांगें'
चुनाव आयोग और राजनीति पर टकराव: खुलकर बोले ज्ञानेश कुमार
चुनाव आयोग को गालियां देना आजकल कई नेताओं की रणनीति बन गई है, लेकिन इस बार मुख्य चुनाव आयुक्त चुनाव आयोग खुद मैदान में उतर आए हैं। ज्ञानेश कुमार ने राहुल गांधी और विपक्षी पार्टियों के आरोपों पर सीधा जवाब दिया—या तो आरोपों को शपथपत्र के साथ साबित करो या देश से माफी मांगो। ये पहली बार है जब आयोग ने इस तरह कड़े शब्दों में किसी राजनीतिक पार्टी को चेताया है।
मुद्दा बिहार की वोटर लिस्ट का है। राहुल गांधी ने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया पर सवाल उठाए थे और 'मतदाता चोरी' जैसे तगड़े आरोप लगाए। उन्होंने कहा था कि लाखों वोटर लिस्ट से बाहर किए जा सकते हैं। ज्ञानेश कुमार ने पूछा, बिना किसी कानूनी घोषणा या शपथ, क्या आयोग को सिर्फ शिकायत के आधार पर 1.5 लाख वोटरों को नोटिस भेज देना चाहिए? चुनाव आयोग का कहना है कि शिकायत है तो कानूनी तरीका अपनाओ, सिर्फ भाषण नहीं चलेगा।
ज्ञानेश कुमार ने यह भी स्पष्ट किया कि वोटर लिस्ट को दुरुस्त करना आयोग की संवैधानिक जिम्मेदारी है, कोई मनमानी नहीं। उन्होंने बताया कि ये कवायद अचानक नहीं शुरू हुई बल्कि महीनों पहले बिहार के सात करोड़ से ज्यादा वोटर्स तक पहुंचने की योजना बनाई गई थी। जो लोग ये कह रहे हैं कि आयोग जल्दबाजी कर रहा है, वो सच्चाई से दूर हैं।
विपक्ष और आयोग आमने-सामने
राहुल गांधी के आरोपों के बाद विपक्षी दलों का INDIA ब्लॉक और भी आक्रामक हो गया है। यहां तक कि मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ महाभियोग नोटिस देने तक का फैसला कर लिया। लेकिन ज्ञानेश कुमार ने साफ कर दिया है कि आयोग को किसी पार्टी की ढाल या हथियार की तरह इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। उनका संदेश है—आयोग एक संवैधानिक संस्था है, राजनीति के लिए उसे कठघरे में खड़ा करने से पहले सबूत और कानूनी प्रक्रिया अपनाना जरूरी है।
ज्ञानेश कुमार का यह रुख न सिर्फ विपक्ष के लिए चुनौती है, बल्कि ये भी संकेत है कि भविष्य में आयोग मनमानी शिकायतें सुनने के मूड में नहीं है। आयोग ने दो टूक कहा, अगर शिकायत में दम है तो कोर्ट जैसी प्रक्रिया अपनाओ—सबूत के साथ शपथपत्र दो। वरना, महज बहस और राजनीति के नाम पर आयोग की साख पर सवाल उठाने का कोई मतलब नहीं बनता।
- शिकायत है तो शपथपत्र जरूरी
- वोटर लिस्ट अपडेट संवैधानिक जिम्मेदारी
- आयोग का काम चुनावी प्रक्रिया की शुचिता बनाए रखना
- राजनीतिक बयानबाजी नहीं चलेगी—आयोग का स्पष्ट संदेश
राहुल गांधी समेत विपक्ष अब क्या जवाब देता है, इस पर सबकी नजरें हैं। लेकिन एक बात साफ है—चुनाव आयोग अब अपनी जवाबदेही को लेकर कतई नरमी दिखाने के मूड में नहीं है।