छठ महापर्व – हिंदुस्तान की अनूठी सूर्य पूजा
जब बात छठ महापर्व, भौगोलिक रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में मनाई जाने वाली सूर्य-स्थलीय पूजा है, जो चढ़ते‑उगते और डूबते‑डूबते सूर्य को अर्पित की जाती है की होती है, तब इसके तीन प्रमुख घटकों को समझना जरूरी है। सूर्य देव, सूर्य को शक्ति और जीवन का स्रोत माना जाता है, इसलिए इस पर्व में उनका विशेष सम्मान किया जाता है के साथ-साथ गंगा तट, पानी की शुद्धता और सांस्कृतिक महत्त्व के कारण छठ के अनुष्ठान का मुख्य स्थल बनता है भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इन तीनों इकाइयों के बीच का सीधा संबंध — "छठ महापर्व सूर्य देव को गंगा तट पर अर्पित करता है" — इस उत्सव को विशिष्ट बनाता है। जैसा कि कई शोधों ने बताया, इस परंपरा में ठहाका, एक विशेष गीत‑संगीत जहाँ महिलाएँ गहन श्रद्धा के साथ सूर्य को स्मरण कराती हैं का प्रयोग भी शामिल है, जिससे सामाजिक समरसता और आध्यात्मिक ऊर्जा दोनों का संचार होता है। छठ महापर्व के इस परिचय से आप समझेंगे कि यह केवल एक धार्मिक घटना नहीं, बल्कि एक सामाजिक जाल है जिसमें संस्कृति, पर्यावरण और स्वास्थ्य की गहरी धागे बुनते हैं।
छठ महापर्व के मुख्य पहलू
पहला पहलू है स्नान, नदियों, तालाबों या किसी भी पवित्र जल स्रोत में शुद्ध जल में स्नान करके शारीरिक और आध्यात्मिक शुद्धि प्राप्त की जाती है। स्नान के बाद उपवास रखा जाता है, जो शारीरिक स्वास्थ्य को तंटा देता है और मानसिक शांति को बढ़ाता है। दूसरा प्रमुख अनुष्ठान है दान, भूखेतरों, बीमारों और पंगे लोगों को अन्न, वस्त्र और जल प्रदान कर सामाजिक बंधनों को मजबूत किया जाता है। तीसरा और सबसे उज्ज्वल हिस्सा है उषः-संध्या आरण्यक, सूर्य के उदय और अस्त होते समय नदी किनारे खड़े होकर अर्हद पुष्पार्चन, जल अर्पण और गीत‑भजन का आयोजन किया जाता है। इन तीनों चरणों का क्रम – स्नान, दान, आरण्यक – इस बात का प्रमाण है कि छठ महापर्व केवल व्यक्तिगत उपवास नहीं, बल्कि सामुदायिक सहभागिता का एक बहु‑आयामी मंच है।
समय के साथ इस पर्व में कुछ नया जुड़ा है। अतीत में केवल ग्रामीण क्षेत्रों में मनाया जाता था, लेकिन अब शहरी आबादी भी गंगा तट या स्थानीय जलाशयों पर इकट्ठा हो कर इस अनुष्ठान को अपनाती है। डिजिटल मीडिया ने छठ के समाचार को तेज़ी से फैलाया है, जिससे युवा वर्ग भी इस परंपरा से जुड़ रहा है। इस बदलाव ने कई नई खबरों को जन्म दिया है – जैसे शहरी स्तर पर कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए जल स्रोतों की सफ़ाई कार्य, सूर्य प्रकाश के वैज्ञानिक अध्ययन और स्थानीय सरकार द्वारा पर्यावरणीय नियमों का कड़ाई से पालन। यही कारण है कि इस टैग पेज पर आपको छठ‑सम्बंधी राजनीतिक चर्चा, सरकारी नीतियों, जल सुविधाओं की स्थिति और सामाजिक आंदोलनों के संदर्भ में नई‑नई खबरें मिलेंगी, जो इस परंपरा को आज की वास्तविकता में फिर से परिभाषित करती हैं।
अब आप नीचे दिए गए लेखों में छठ महापर्व से जुड़े विभिन्न पहलुओं की गहराई देख सकेंगे। चाहे वह कर्नाटक में RSS प्रतिबंध पर राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता हो, या दिल्ली हाई कोर्ट की मानहानि केस की अद्यतन जानकारी, या फिर जलवायु संबंधी चेतावनियाँ—सब कुछ इस महान सूर्य पूजा के सामाजिक-राजनीतिक परिप्रेक्ष्य से जुड़ा हुआ है। इन लेखों को पढ़कर आप न सिर्फ ताज़ा समाचार जानेंगे, बल्कि छठ महापर्व की सांस्कृतिक धरोहर और उसकी समकालीन प्रासंगिकता को भी समझ पाएँगे।
अक्टूबर 2025 में दीपावली, छठ महापर्व, करवा चौथ, सदार पटेल और इंदिरा गांधी की पुण्यतिथियों सहित 31 प्रमुख व्रत‑त्योहार मनाए जाएंगे, जो सामाजिक और आर्थिक दोनों पहलुओं को प्रभावित करेंगे।
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