Maa Chandraghanta – शक्ति, शौर्य और नवरात्रि की रोशनी
जब हम Maa Chandraghanta, हिंदू धर्म में शक्ति की नौ रूपों में से चौथी देवी, जो अपने हाथों में घंटी लेकर युद्धक्षेत्र में आती हैं. Also known as चंद्रघंटा देवी, वह साहस और विजय का प्रतीक है। इस शक्ति को नवरात्रि के Navratri, नौ रातों का पर्व जिसमें देवी-देवताओं की विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है में विशेष रूप से मनाया जाता है, जहाँ प्रत्येक रात एक नई देवी को समर्पित होती है।
Maa Chandraghanta और उनके सम्बन्धित तत्व
Navratri के साथ ही Goddess Durga, धनुर्विड्याओं की प्रमुख माँ, जो सभी शत्रुओं को परास्त करती हैं का रूप भी देखा जाता है, क्योंकि Chandraghanta Durga की ही एक अभिव्यक्ति है। Shakti, अर्थात शक्ति, इस पूरे प्रविष्टि का मूल आधार है—बिना Shakti के न तो Chandraghanta और न ही Durga का अस्तित्व संभव है। इन देवीयों की पूजा के दौरान भक्त अक्सर शक्ति त्रिपुत्री के मंत्रों का उच्चारण करते हैं, जो मन को शांती और ऊर्जा देती है।
Chandraghanta का प्रमुख प्रतीक घंटी (घंटी) है, जो काली रात्रि से अंधकार हटाने का काम करती है। जब भक्त इस घंटी की ध्वनि सुनते हैं, तो यह नकारात्मक ऊर्जा को विसर्जित कर आत्मा को शुद्ध करती है। यह परम्परा दक्षिण भारत के कई मंदिरों में देखने को मिलती है, जहाँ विशेष रूप से सातवां दिन “छठी” को घंटी की ध्वनि से पवित्रता का आह्वान किया जाता है। इसके अलावा, व्रत, उपवास और दान जैसी परम्पराएँ Chandraghanta की कृपा पाने के साधन मानी जाती हैं।
हर वर्ष जब नवरात्रि का सूर्यास्त होता है, तो घर-घर में Chandraghanta की मूर्तियों को फूल, मेवे और पीले कपड़े से सजाया जाता है। इस समय लोग ‘अष्टमी’ और ‘नवमी’ के दिन विशेष पूजा करते हैं, जिसमें प्रसाद में मिठाई और दुहली (हल्दी) का प्रयोग किया जाता है। कई शहरों में ‘चंद्रघंटा मंदिर’ का आर्थिक और सामाजिक महत्व भी बढ़ जाता है; स्थानीय व्यापारियों व कलाकारों के लिए ये दिन आय का स्रोत बन जाता है। इस तरह की सांस्कृतिक गाथा न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक गतिशीलता को भी प्रभावित करती है।
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Navratri के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा होती है। लेख में देवी का महत्व, पूजन की विस्तृत विधि, मुख्य मंत्र, प्रसाद और शुभ समय की जानकारी दी गई है। साथ ही इस पूजा के आध्यात्मिक और वैभविक लाभ भी बताया गया है।
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