न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) – सरल शब्दों में समझें
जब बात खेती की आती है, तो किसान अक्सर पूछते हैं – मेरा फसल का सही दाम कब मिलेगा? यही सवाल सरकार के MSP (Minimum Support Price) का मूल उद्देश्य है. MSP वह न्यूनतम कीमत है, जो सरकार तय करती है कि वह खरीदेगी, ताकि किसान को नुकसान न हो और उन्हें उचित मुनाफा मिल सके.
MSP कैसे तय होता है?
हर साल कृषि विज्ञान केंद्र (आइसीसी) और विभिन्न सरकारी विभाग मिलकर कई कारकों को देखें: फसल की लागत, मौसम की स्थिति, बाजार में मांग‑सप्लाई, और अंतर्राष्ट्रीय कीमतें. फिर केंद्रीय वस्तु मूल्य निर्धारण आयोग (CACP) इन आंकड़ों को देखकर एक न्यूनतम मूल्य तय करता है. यह कीमत आमतौर पर मौसमी बाजार मूल्य से थोड़ी ऊपर रखी जाती है, ताकि किसान को हमेशा कुछ अतिरिक्त मिल सके.
उदाहरण के तौर पर, 2024‑25 में धान का MSP 30 ₹ प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 34 ₹ किया गया था, क्योंकि उत्पादन लागत में वृद्धि हुई थी. इसी तरह, गेहूँ, ज्वार, मक्का आदि की कीमतें भी हर साल अपडेट होती हैं.
किसानों को MSP से मिलते फायदे
सबसे बड़ा फायदा यह है कि किसान को एक तय दर मिलती है, जिससे बेचने के बाद दाम गिरने की चिंता नहीं रहती. अगर बाजार में कीमतें नीचे गिर भी जाएँ, तो किसान को वही न्यूनतम रकम मिलती है, जिससे उसका खर्च वसूली होता है.
MSP से साख‑सर्विसेज़, बीज, उर्वरक आदि के लिए ब्याज‑मुक्त ऋण भी मिल सकता है, क्योंकि बैंक के लिए यह एक भरोसेमंद सुरक्षा बन जाता है. कई बार राज्य सरकारें MSP के साथ अतिरिक्त प्रीमियम भी देती हैं, जिससे किसान को अतिरिक्त आय मिलती है.
सरकार के द्वारा स्थापित मंडियों में किसान अपनी फसल सीधे बेच सकते हैं, जहाँ इस न्यूनतम मूल्य पर लेन‑देना आसान होता है. यह प्रक्रिया किसानों को मध्यस्थों के पास कम फसल बेचने की जरूरत से बचाती है, जिससे उनका मुनाफा बढ़ता है.
2025 के नए MSP अपडेट
2025 में कई प्रमुख फसलों के MSP में बढ़ोतरी की गई है. भारत सरकार ने घोषित किया कि:
- धान का MSP 36 ₹/क्विंटल (पिछले साल से 2 ₹ बढ़ा)
- गेहूँ का MSP 26 ₹/क्विंटल (1 ₹ की वृद्धि)
- मकई का MSP 21 ₹/क्विंटल (1 ₹ की बढ़ोतरी)
- सरसों का MSP 65 ₹/किलो (व्यापारिक लागत में वृद्धि के कारण)
इन बढ़ोतरी का मुख्य कारण है बढ़ती उत्पादन लागत, जैसे बीज, उर्वरक और पानी की कीमतें. यदि आप रब्बी, काफ़ी या अन्ना जैसी फसल उगाते हैं, तो इन नई कीमतों को भी देखना चाहिए, क्योंकि हर साल सरकार के एजेंडा में बदलाव आते हैं.
ध्यान देने वाली बात यह है कि MSP केवल तब लागू होता है जब सरकार उस फसल को खरीदने के लिए तैयार हो. इसलिए किसान को अपने नजदीकी मंडी या सरकारी खरीद एजेंसियों से संपर्क बनाए रखना चाहिए.
अंत में, MSP का मूल मकसद किसान को सुरक्षित आय देना है. यदि आप इस प्रणाली को सही तरीके से समझेंगे, तो आप अपनी फसल बेचते समय बेहतर दामों की उम्मीद कर सकते हैं. हमेशा याद रखें – कीमत तय करने की प्रक्रिया खुली है, इसलिए नई घोषणाओं पर नजर रखें और स्थानीय एजेंसियों से अपडेटेड जानकारी लेते रहें.
पंजाब में किसान आंदोलन जारी है, जिसका नेतृत्व जगजीत सिंह दाल्लेवाल कर रहे हैं। आंदोलन का मुख्य उद्देश्य फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी है। दाल्लेवाल 26 नवंबर से भूख हड़ताल पर हैं, जिसे 35 दिन पूरे हो चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को उचित चिकित्सा सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया है। आंदोलन स्थल पर किसानों का जमावड़ा जारी है।
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