नेल्सन मंडेला: संघर्ष से राष्ट्रपति तक की कहानी
नेल्सन मंडेला का नाम सुनते ही कई सोचते हैं – दक्षिण अफ्रीका की आज़ादी, जेल के बंधन, और फिर भी मुस्कुराते चेहरा। लेकिन उनका सफर सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि कई लोगों के लिए आशा की रोशनी है।
जवानी और राजनीति में कदम
1918 में दक्षिण अफ्रीका के एक छोटे गांव में जन्मे मंडेला ने बचपन से ही अपनी समुदाय की समस्याओं को देखा। स्कूल के बाद वकील बनकर उन्होंने रंगभेद के खिलाफ लड़ाई शुरू की। 1944 में अफ्रीकन नेशनल कॉंग्रेस (ANC) में शामिल होकर उन्होंने नस्लीय असमानता को खत्म करने का लक्ष्य रखा।
शुरुआत में उन्होंने शांति भरे प्रदर्शन और श्रमिक हड़तालों के ज़रिए आवाज़ बुलंद की। लेकिन सरकार ने उनका सामना बर्दाश्त नहीं किया, और संघर्ष तेज़ हो गया।
27 साल की जेल और जनता की उम्मीदें
1962 में सरकार ने मंडेला को गिरफ्तार कर रोबेन आयलैंड पर 27 साल की सजा सुनाई। रॉबें होटल में उनका रहना कठिन था, लेकिन उन्होंने किताबें पढ़ी, अपने विचार लिखे और साथियों को प्रेरित किया। जेल में भी उनका मन नहीं डगमगाया; वह अपने आदर्शों को और दृढ़ बना रहे।
जैसे-जैसे साल बीतते गए, दुनियाभर से दबाव बढ़ता गया। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने उनके रिहाई की मांग की। 1990 में जब उन्होंने रॉबेन आयलैंड से बाहर कदम रखा, तो सबका दिल धड़क गया।
रिलीज़ के बाद मंडेला ने राष्ट्र को जोड़ने के लिए उमंग भरे भाषण दिये। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वियों को भी अपना हाथ बढ़ाया, जिससे दक्षिण अफ्रीका में एक नई दिशा शुरू हुई।
राष्ट्रपति बनकर बदलाव की राह
1994 में पहली बार सभी रंगों के लोगों को वोट करने का अधिकार मिला, और मंडेला के ढेर सारे वोटों के साथ उन्होंने राष्ट्रपति पद संभाला। उनका पहला लक्ष्य था: आर्थिक विषमता खत्म करना और सभी को समान अधिकार देना।
उन्होंने स्कूल, अस्पताल और बुनियादी सुविधाओं में निवेश किया। साथ ही, सत्य और सुलह कॉमिशन (TRC) की मदद से हिंसा के दायिरे को समझने और माफी देने की कोशिश की। इससे लोगों ने एक-दूसरे को समझा और राष्ट्र में शांति की धरती तैयार हुई।
मंडेला ने अपनी शक्ति को नहीं झुकाया, बल्कि उसे हर किसी की भलाई के लिए इस्तेमाल किया। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका को एक ऐसा मॉडल बनाया जहाँ विभिन्न रंग, भाषा और धर्म वाले लोग साथ रह सकें।
आज का मंडेला – प्रेरणा का स्रोत
2013 में उनका निधन हो गया, पर उनकी शिक्षाएँ आज भी चल रही हैं। कई स्कूलों, पुस्तकालयों और संस्थानों का नाम उनके आदिशंक्तियों से जुड़ा है। लोग उनके उद्धरणों को अपने जीवन में लागू करते हैं – "हम किसी भी समय नायक बन सकते हैं, अगर हम सही काम करें"।
ज्यादा लोग उनके संघर्ष को पढ़ते हैं, उनके जेल में लिखे पत्रों को देखते हैं और समझते हैं कि जब तक हम एकजुट रहेंगे, कोई भी तानाशाह हमें रोक नहीं सकता।
तो अगली बार जब आप किसी कठिनाई का सामना करें, नेल्सन मंडेला की कहानी याद रखिए। उनका जीवन हमें सिखाता है कि दृढ़ निश्चय, धैर्य और मानवता की भावना से हम बड़े से बड़े लक्ष्य भी हासिल कर सकते हैं।
नेल्सन मंडेला इंटरनेशनल डे हर साल 18 जुलाई को मनाया जाता है। 2024 का थीम है 'गरीबी और असमानता से लड़ना हमारे हाथों में है।' यह दिन नेल्सन मंडेला की जिंदगी और उनके योगदान की याद दिलाता है, खासकर समानता और न्याय के लिए उनका संघर्ष।
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