सांस्कृतिक विविधता: भारत की जीवंत पहचान
जब आप भारत में कदम रखते हैं तो सबसे पहले एक ही चीज़ दिखती है – रंग‑बिरंगी विविधता। हर राज्य की अपनी भाषा, खाना, संगीत और त्यौहार होते हैं। यही विभिन्नताएँ देश को समृद्ध बनाती हैं और भारतीयों को एक‑दूसरे से जोड़ती हैं। तो चलिए, इस पर थोड़ा‑बहुत नजर डालते हैं और देखते हैं कि हमारी सांस्कृतिक विविधता हमारे रोज़मर्रा के जीवन में कैसे झलकती है।
भाषा‑भेद: देश की आवाज़ें
भारत में 122 प्रमुख भाषाएँ और 1599 उपभाषाएँ बोली जाती हैं। चाहे वह उत्तर में हिंदी और पंजाबी हो या दक्षिण में तमिल, तेलुगू और कन्नड़, प्रत्येक भाषा अपने‑अपने क्षेत्र की ज़िन्दगी के साथ गूँजती है। यही कारण है कि अखबार, टीवी चैनल और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर कई भाषा‑विकल्प मिलते हैं। आपका दादी‑दादी का किस्सा, आपका पड़ोसी का अगरबत्ती‑बाज, और आपके दोस्त का कवि‑समूह, सब एक ही धरती पर अलग‑अलग आवाज़ें हैं।
त्योहार‑धर्म: जश्न का रंग
हर मौसम में भारत के कोने‑कोने में कोई ना कोई त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता है। उत्तर में दिवाली और होली की रौशनी, राजस्थान की तेज़ी से धड़कती उत्सव‑धर्म ‘लोक गणेश’, दक्षिण में पोंगल और ओणम, पश्चिम में गोवर्धन पूजा और गुजरात का सुनहरा दसरहा। इन सबमें दिखती है स्थानीय परम्पराओं की अनूठी शैली, जैसे दिल्ली में मिठाइयों की बाढ़ या सिक्किम में बुद्घा धुंआ। इन विविध उत्सवों में परिधान, नाच‑गान और व्यंजन सब अलग‑अलग होते हैं, पर उनमें एक ही उत्साह और मिलनसारिता की भावना झलकती है।
सांस्कृतिक विविधता केवल बड़ी घटनाओं तक सीमित नहीं है। छोटे‑छोटे गाँव की हस्तशिल्प, जैसे बिहार के मधुबनी पेंटिंग या कश्मीर का पश्मा, भी देश की कला को भरपूर बना देते हैं। ये कलाएँ पीढ़ी‑दर‑पीढ़ी अपने हाथों से बनी रहती हैं और आज के डिजिटल युग में भी अपनी जगह बनाये हुए हैं।
कभी‑कभी हम देखते हैं कि राष्ट्रीय प्लेटफ़ॉर्म पर ऐसी कहानियाँ सामने आती हैं जो अलग‑अलग रीति‑रिवाज़ों को एक साथ लाती हैं। जैसे टीवी पर ‘परीक्षा पे चर्चा’ में केरल की छात्रा की हिंदी कविता ने सबको चकित कर दिया। ऐसी घटनाएँ हमें याद दिलाती हैं कि भाषा या प्रदेश की कोई बाधा नहीं, बल्कि साझा अनुभव ही हमें जोड़ते हैं।
चलिये अब बात करते हैं व्यावहारिक तौर पर हम इस विविधता का सम्मान कैसे कर सकते हैं। सबसे पहले, खाने‑पीने की बात है – हर राज्य का अपना विशेष पकवान होता है, तो कभी‑कभी एक नई जगह के खाने को आज़माएँ। दूसरा, जब भी कोई स्थानीय त्यौहार या मेले में आमंत्रित हों, भाग लें और स्थानीय लोगों से उनके रीति‑रिवाज़ के बारे में पूछें। अंत में, भाषा सीखना एक शानदार तरीका है – ‘नमस्ते’ से शुरू करके ‘सुप्रभात’ या ‘सलाम’ तक, आप लोगों के दिलों में अपनी जगह बना सकते हैं।
सांस्कृतिक विविधता हमारी सबसे बड़ी ताकत है। यह हमें सीखने, समझने और एक‑दूसरे के करीब लाने का जरिया बनती है। आज जब आप इस पेज पर आए हैं, तो आप भी इस विविधता के हिस्से बनते हैं। तो चलिए, इस विविधता को अपनाएँ, मनाएँ और इसे आगे भी बढ़ाते रहें।
भारत ने 76वां गणतंत्र दिवस मनाते हुए नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर एक भव्य परेड का आयोजन किया, जिसमें सैन्य ताकत और सांस्कृतिक धरोहर की विविधता को प्रदर्शित किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। परेड की मुख्य विशेषता 'शशक्त और सुरक्षित भारत' पर आधारित त्रिसेवाएं थीं, जिसमें भारत की सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया गया।
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