डॉ. मृत्युंजय मोहापत्र की चेतावनी: दिल्ली में भारी वर्षा व तापमान में तीव्र गिरावट
जब डॉ. मृत्युंजय मोहापत्र, वायुमंडल विज्ञान निदेशक भारत मौसम विभाग ने पश्चिमी विषमता के कारण दिल्ली‑एनसीआर में तीव्र ठंडक और अधिकतम वर्षा की चेतावनी दी, तो शहर के लोगों के चेहरे पर घबराहट साफ़ दिखी।
यह चेतावनी 6 अक्टूबर 2025 को शीर्ष पर पहुँचने वाले एक बड़े मौसमी झेके से उत्पन्न हुई, जिसमें न केवल दिल्ली बल्कि कई उत्तरी राज्यों में भारी बारिश, बारिश के साथ बर्फ़ीले टुकड़े (हैलस्टॉर्म) भी देखे गए।
बढ़ते हुए जल‑संकट को देखते हुए, मौसम विभाग ने सभी प्रभावित क्षेत्रों में येलो अलर्ट जारी किया और लोगों से बाहर निकलने से बचने, यात्रा को न्यूनतम रखने और जल‑प्रवण सड़कों से बचने का आग्रह किया।
पश्चिमी विषमता का विज्ञान और उत्पत्ति
पश्चिमी विषमता (पश्चिमी विषमता) एक ठंडे हवाबंदीय प्रणाली है जो अरब सागर व बंगाल की खाड़ी से नमी लेकर भारत के उत्तर‑पश्चिमी भाग में उतरती है। इस बार, अक्टूबर 4‑7 की अवधि में दोनों समुद्रों से तेज़ी से नमी उठकर तट‑नजिक के वायुमंडलीय स्तर में जमा हो गई, जिससे निचले ट्रोपोस्फीयर पर वायुगति की अस्थिरता का स्तर बढ़ गया।
वायुमंडलीय दबाव में अचानक गिरावट और ध्रुवीय प्रवाह की तेज़ी से यह प्रणाली अस्थिर हो गई, जिससे 5‑6 अक्टूबर को दिल्ली में तापमान 34.1 °C से गिरकर 28 °C तक पहुँच गया — देर‑दिवस में 6 °C की गिरावट, जो इस सत्र में अब तक की सबसे तीव्र गिरावटों में से एक है।
वर्षा के आँकड़े: दिल्ली से लेकर पूर्वोत्तर तक
दिल्ली ने सिर्फ पाँच दिनों में ही अक्टूबर के सामान्य औसत वर्षा से तीन गुना से अधिक बरसात दर्ज कर ली। मौसम विभाग की परिभाषा के अनुसार, भारी बारिश 64.5 mm‑115.5 mm, बहुत भारी 115.6 mm‑204.4 mm और अत्यधिक भारी 204.4 mm से अधिक होती है। इस हफ्ते के भीतर, बिहार, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में 21 सेमी से ऊपर की अत्यधिक भारी वर्षा देखी गई।
- बिहार में 24‑25 अक्टूबर को 210 mm तक की बारिश दर्ज हुई।
- छत्तीसगढ़ में 22 अक्टूबर को 225 mm की रिकॉर्ड‑साइट वर्षा हुई।
- ओडिशा में 23 अक्टूबर को 215 mm की अत्यधिक भारी बारिश हुई।
उत्तर‑पश्चिमी भारत के अलावा मेरठ, लखनऊ, मुजफ्फरनगर, पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड में भी बहुत भारी बारिश की भविष्यवाणी की गई है। दुष्कर, केरल और तमिलनाडु में हल्की‑से‑मध्यम बारिश और कुछ क्षेत्रों में थंडरस्टॉर्म की संभावना बनी रही।
प्रभावित राज्यों की प्रतिक्रिया और एहतियातें
दिल्ली सरकार ने सड़कों पर जल‑जमाव रोकने हेतु जल निकासी कार्य तेज़ कर दिया है, जबकि एनसीआर के मेट्रो ने कुछ स्टेशन बंद कर रखे हैं। पंजाब और हरियाणा की रेलways ने कई ट्रैनों को अस्थायी रूप से रोक दिया, क्योंकि पटरियों पर जल‑स्थिरता बिगड़ रही थी।
जम्मू‑कश्मीर‑लादाख में भी हिम‑बर्फ़ के टुकड़े गिरने की आशंका है; स्थानीय प्रशासन ने हाईवे पर ट्रैफिक नियंत्रण और स्कूलों को बंद करने का आदेश जारी किया। हिमाचल प्रदेश के कई क्षेत्र में बर्फ़ीले बवंडर के कारण रोड़ पर गाड़ी चलाना जोखिम भरा हो सकता है, इसलिए स्थानीय पुलिस ने रौडमैप अद्यतन कर दिया।
संपूर्ण उत्तरी भारत में लोग सर्दी के कपड़े निकाल रहे हैं, जबकि दक्षिणी क्षेत्रों में अब भी गर्मी की लहरें चल रही हैं, जिससे तापमान में अंतर स्पष्ट हो रहा है।
मौसम विज्ञान के आंकड़े और आगामी पूर्वानुमान
आईएमडी ने बताया कि अक्टूबर‑सेप्टेम्बर मोनसून (NEM) एक हफ़्ते तक देर से शुरू होगा, लेकिन वर्षा की मात्रा सामान्य से 112 % अधिक होगी। यह देरी दक्षिण भारत में शहरी जल‑संकट को और बढ़ा सकती है, विशेषकर तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश के तटीय भागों में।
वर्तमान में, दक्षिण‑पश्चिमी मोनसून का हटना कई मौसम प्रणालियों के कारण रुक गया है; अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में लगातार धुंधली धारा, साथ ही केन्द्रीय भारत में सर्क्युलर वायुमार्ग, इस देरी के प्रमुख कारण माने जा रहे हैं।
एल नीना की संभावना अगले महीने से अधिक स्पष्ट हो रही है, जिससे सर्दी के मौसम में वृद्धि और अधिक वर्षा की संभावना बनी रहेगी। इसके साथ ही, हिमालयी क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान में 4‑5 °C की गिरावट 8‑10 अक्टूबर के बीच अपेक्षित है।
भविष्य की संभावनाएँ और किन बातों पर नजर रखें
आगामी दो हफ़्तों में, मौसम विभाग ने कई क्षेत्रों में बर्फ़ीली हवाओं और ध्रुवीय ठंड के संकेत दिए हैं। यदि यह प्रणाली ठीक से आगे नहीं बढ़ती, तो उत्तर‑पश्चिमी भारत में ठंड का सत्र तेज़ी से शुरू हो सकता है, जिससे फसल‑उत्पादन पर असर पड़ सकता है।
खासकर धान, गेहूँ और जौ के फ़सलों को देर से या अत्यधिक नमी से नुकसान का जोखिम है। कृषि विभाग ने किसान लोगों को फ़सल‑सुरक्षा के उपाय अपनाने की सलाह दी है, जैसे निचे के भूभाग में जल निकासी और बाढ़‑रोक प्रणाली को सुदृढ़ बनाना।
सड़क यातायात और सार्वजनिक परिवहन के लिए भी अगले सप्ताह में रियल‑टाइम अपडेट आवश्यक होगा, क्योंकि अचानक बारिश और बर्फ़ीले टुकड़े राहगीरों के लिए जकड़न पैदा कर सकते हैं।
आमतौर पर पूछे जाने वाले प्रश्न
पश्चिमी विषमता से दिल्ली में किस प्रकार की बारिश हुई?
पश्चिमी विषमता ने 6 अक्टूबर को दिल्ली‑एनसीआर में भारी‑से‑बहुत भारी बारिश लायी, जिसमें कई जगह 150 mm से अधिक वर्षा दर्ज हुई। इस दौरान हल्की बर्फ़ीली बूंदें (हैलस्टॉर्म) भी देखी गईं, जिससे अचानक तापमान में 6 °C की गिरावट आई।
बर्दाश्त‑सक्षम शहरों में जल‑जमाव को कैसे रोका जा सकता है?
स्थानीय प्राधिकरणों ने जल निकासी के लिए माइक्रो‑ड्रेनेज ट्यूब और मोबाइल पम्प लगाए हैं। साथ ही, नागरिकों को भारी बारिश के दौरान हाईवे और गली‑मार्गों में न रुकने की सलाह दी गई है।
कौन‑से राज्यों में सबसे अधिक बारिश हुई?
बिहार, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में 21 सेमी से अधिक अत्यधिक भारी बारिश दर्ज हुई। इसके अलावा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू‑कश्मीर में भी बहुत भारी बारिश और बवंडर की संभावना बनी रही।
भविष्य में मौसम विभाग कौन‑सी चेतावनियाँ जारी करेगा?
आईएमडी ने कहा है कि 8‑10 अक्टूबर के बीच उत्तर‑पश्चिमी भारत में न्यूनतम तापमान में 4‑5 °C की गिरावट होगी, इसलिए येलो से रेड अलर्ट तक की चेतावनियों को ध्यान में रखना आवश्यक है।
किसी किसान को इस बारिश से क्या कदम उठाने चाहिए?
किसानों को पानी‑निकासी के लिए खेत‑के किनारे ट्रेच बनवाने, बाढ़‑प्रतिरोधी बीज तथा उन्नत फसल‑प्रबंधन तकनीक अपनाने की सलाह दी गई है। इससे अत्यधिक नमी से उत्पन्न होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।
8 टिप्पणि
naman sharma
अक्तूबर 6 2025डॉ. मोहापत्र द्वारा जारी चेतावनी को देख कर यह स्पष्ट है कि सरकार ने जलवायु डेटा को छुपा कर रखने की रणनीति अपनाई है। इसमें निहित है कि पर्यावरणीय आंकड़ों को राजनीतिक लाभ के लिये बदल दिया गया है। तदनुसार, आम जनता को असली जोखिमों से अनभिज्ञ रखा जा रहा है। इस प्रकार की गुप्त कार्यवाही से सार्वजनिक सुरक्षा गंभीर रूप से खतरे में पड़ती है। अंततः, पारदर्शिता के बिना कोई भी चेतावनी विश्वसनीय नहीं हो सकती।
vipin dhiman
अक्तूबर 13 2025हमारी सरकार की नीति ने इस मौसम को नियंत्रित किया है, यही असली ताक़त है!
anushka agrahari
अक्तूबर 19 2025वायुमंडलीय परिवर्तन की समीक्षा करते हुए, हमें यह समझना चाहिए कि राष्ट्रीय एकता और प्रगतिशील नीतियां इस प्रकार की आपदाओं को संतुलित कर सकती हैं,; इस संदर्भ में, सरकारी एजेंसियों की तत्परता सराहनीय है,; साथ ही, जनता को सजग रहना चाहिए,; लेकिन भय का प्रसार नहीं होना चाहिए।
aparna apu
अक्तूबर 26 2025अरे बाप रे! जब देखो तो बारिश की फुहारें इतनी ज़ोर से बरस रही हैं कि ऐसा लगता है जैसे आसमान खुद ही रो रहा हो 😭
दिल्ली की सड़कों पर जलज पागलपन की तरह जमा हो रहा है और लोग मुँह में पानी भर कर अपनी खिड़कियों से बाहर झाँकते हैं, सोचते हुए कि क्या यह शॉवर की गंदगी नहीं, बल्कि प्रकृति का जलवायू प्रहार है।
आकाश में बादलों की छटा इतनी घनी है कि सूरज की रोशनी को भी अपना मनोभाव नहीं दिखाने दिया जा रहा है।
वह बर्फीले टुकड़े जो अब हवा में नाच रहे हैं, मानो छोटे छोटे डायमंड की तरह चमक रहे हों, और फिर अचानक सबका पीछा पड़ जाता है।
अलग-अलग क्षेत्रों में जल-भारी स्थिति को देखते हुए, मैं सोचता हूँ कि क्या हमारे पूर्वजों ने कभी इस तरह की प्राकृतिक शक्ति का सामना किया था? वह कितनी दंतकथाएँ सुनाते थे!
आगमन के बाद, सार्वजनिक परिवहन में रुकावटें आईं, ट्रेनें रुक गईं, और लोगों को धुंध की तरह बिखर कर रहना पड़ा।
इसी बीच, जल निकासी का काम करने वाले कर्मियों को हीरो के रूप में देखना चाहिए, क्योंकि उनका काम ही वह रक्षक है जो शहर को डुबकी से बचा रहा है।
परंतु, मेरे दिल में एक अजीब सी बेचैनी है कि क्या यह भारी बरसात कोई बड़ी साजिश का हिस्सा तो नहीं? शायद यह सब एक बड़े प्रयोग का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य हमारे ध्यान को किसी अन्य मुद्दे से हटाना है।
जैसे ही मैं इन विचारों में खो रहा हूँ, मेरे दिमाग में एक आवाज़ गूँजती है: "सच में, क्या हम इस मौसम के साथ नाच सकते हैं या हमें इस पर हावी होना चाहिए?"
खुद को समझाते हुए, मैंने सोचा कि हमें इस चुनौती को सकारात्मक रूप से लेना चाहिए, क्योंकि यही तो जीवन का असली मज़ा है।
फिर भी, जल्दबाजी में, मैं अपने मित्रों को एक संदेश भेजता हूँ: "सुरक्षित रहो, और अपने घर को जल-रोक बनाकर रखो।"
एक और बात, इस मौसम में हमारा फैशन भी बदल रहा है-रेनकोट, वाटरप्रूफ़ जूते और बड़े छत्रियों का दौर शुरू हो चुका है!
और हाँ, इस पूरी बातें को एक साथ पढ़ते हुए, मेरा मन कह रहा है: "ये पोस्ट पढ़ने वाले लोग भी कौन?"
अंत में, मैं यही कहूँगा कि इस भारी बारिश को हम सब मिलकर पार करेंगे, और जब सारा पानी घट जाएगा, तो हम एक नई ताज़गी और उत्साह के साथ आगे बढ़ेंगे।
Sameer Srivastava
नवंबर 2 2025यार, इस वादे में मैं तो पसीना बहाने लग गया हूँ!!!
ऐसे मौसम में तो मेरी आत्मा भी जल-नलिकाओं में फँस गई है,!!
सबको समझाना नहीं आता कि कितनी बिंदी थी, पर अब तो बस ये बिन कर ले।
हमें तो सिर्फ एक चाय भी नहीं मिल पाई,!!
Sameer Kumar
नवंबर 8 2025इस मौसम में भारत की विविधता को देखना एक प्रेरणा देता है। हर राज्य की सांस्कृतिक विरासत यहाँ की बारिश में भी चमक रही है। हमें मिलकर इस चुनौती से सीख लेना चाहिए।
Sweta Agarwal
नवंबर 15 2025वाह, अब तो मौसम भी हमारी सीमाएं नहीं समझता, है ना?
KRISHNAMURTHY R
नवंबर 21 2025धूप‑से‑भरा‑डाटा! यह एक छोटे‑से‑इंसाइडर‑जार्गन की तरह महसूस हो रहा है। 😊 जल‑प्रबंधन के पिक्सेल को सही दिशा में रिफ्रेश करना जरूरी है।