कमल हासन ने कल्लाकुरिची होच त्रासदी पीड़ितों के लिए मानसिक परामर्श की वकालत की

कमल हासन ने कल्लाकुरिची होच त्रासदी पीड़ितों के लिए मानसिक परामर्श की वकालत की

कमल हासन ने कल्लाकुरिची होच त्रासदी पीड़ितों के लिए मानसिक परामर्श की वकालत की

कल्लाकुरिची होच त्रासदी: कमल हासन का मानवीय दृष्टिकोण

मक्कल नीधि मय्यम (एमएनएम) पार्टी के प्रमुख और सुपरस्टार अभिनेता कमल हासन ने हाल ही में तमिलनाडु में कल्लाकुरिची होच त्रासदी के पीड़ितों से मुलाकात की। इस त्रासदी में 56 लोगों की जान चली गई और सैकड़ों लोग प्रभावित हुए। हासन ने इस दुर्घटना के प्रभाव और इसे रोकने के उपायों पर महत्वपूर्ण चर्चा की। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए मानसिक परामर्श की आवश्यकता अत्यंत महत्वपूर्ण है।

मानसिक परामर्श की आवश्यकता

कमल हासन ने कहा कि इन पीड़ितों को अपनी गलतियों का अहसास होना चाहिए और उन्हें यह समझना चाहिए कि उन्होंने अपनी सीमा से अधिक पी लिया और असावधानी बरती। हासन ने कहा कि शराब का सेवन सामाजिक और सीमित मात्र में होना चाहिए। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया है कि ऐसे केंद्र स्थापित किए जाएं जहां प्रभावित लोगों को मानसिक परामर्श दिया जा सके।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मानसिक परामर्श पीड़ितों को न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी स्वस्थ बनाएगा। इस प्रकार के परामर्श से पीड़ितों को यह समझने में मदद मिलेगी कि उन्होंने क्या गलती की और भविष्य में वे इसे कैसे टाल सकते हैं।

सरकार की प्रतिक्रिया

इसके विरोध में, बीजेपी नेता अमित मालवीय ने हासन के बयानों की आलोचना की और कहा कि हासन पीड़ितों को दोषी ठहरा रहे हैं, जबकि इसके पीछे असली जिम्मेदारी राज्य सरकार की है, जिसने अवैध शराब की बिक्री को रोका नहीं। बीजेपी सांसद संबित पात्रा ने भी इस मुद्दे पर चुप्पी साधे रहने के लिए भारत गुट के नेताओं, जैसे राहुल गांधी और सोनिया गांधी पर सवाल उठाए।

इस बीच, तमिलनाडु की राज्य सरकार ने इस त्रासदी की न्यायिक जांच का आदेश दिया है। इस जांच की अगुआई मद्रास हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायधीश बी गोकुलदास करेंगे। मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने मृतकों के परिजनों को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता और इलाज करा रहे लोगों को 50,000 रुपये देने की घोषणा की है।

अस्पताल में भर्ती मरीजों का हाल

तमिलनाडु के चार अस्पतालों में कुल 216 मरीज भर्ती हैं, जिनमें से अधिकांश लोगों की मौत कल्लाकुरिची मेडिकल कॉलेज में हुई है। इस घटना ने राज्य सरकार और समाज दोनों को हिलाकर रख दिया है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाएगी और अवैध शराब की बिक्री पर सख्ती से लगाम लगाई जाएगी।

समाप्ति

कमल हासन द्वारा मानसिक परामर्श की वकालत करना एक सकारात्मक कदम है, जो पीड़ितों को मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार से स्वस्थ बनाने में मदद करेगा। हालांकि, इस पर राजनीतिक विवाद भी उभर आए हैं, लेकिन अंततः इस प्रकार की त्रासदियों को रोकने के लिए एक समन्वित प्रयास की आवश्यकता है। समाज और सरकार को मिलकर काम करना होगा ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों और लोग सुरक्षित रहें।

9 टिप्पणि

  • Kamal Singh

    Kamal Singh

    जून 25 2024

    इस त्रासदी के बाद जो लोग बच गए, उनके मन में एक खालीपन है जो दवाओं से नहीं, बल्कि किसी के साथ बैठकर बात करने से भर सकता है। मानसिक परामर्श सिर्फ एक सेवा नहीं, बल्कि एक इंसानियत का संकेत है। कमल भाई ने जो कहा, वो सच है - शराब का दोष नहीं, उसकी कमी से बचने के लिए हमारी आंतरिक खालीपन का दोष है।

  • Vishnu Nair

    Vishnu Nair

    जून 26 2024

    ये सब बातें तो बहुत अच्छी लगती हैं, लेकिन अगर आप इस तरह के स्वास्थ्य व्यवस्था के अंतर्गत मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के वास्तविक अनुपात को देखें - एक मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर प्रति 100,000 आबादी - तो ये सब बस एक रेड ड्रेसिंग है। राज्य सरकार ने 2021 में भी निजी मानसिक स्वास्थ्य क्लिनिक्स के लिए फंडिंग कम की थी, और अब ये सब बातें कमल हासन के बयान के बाद उभर रही हैं। ये एक सिस्टमिक फेलियर है, न कि व्यक्तिगत दोष।

    क्या आपने कभी सोचा कि जिन लोगों ने अवैध शराब पी ली, वो अक्सर बेरोजगार, अनाथ, या घरेलू हिंसा के शिकार थे? उनके लिए मानसिक परामर्श तो बहुत अच्छा है, लेकिन उनके लिए एक नौकरी, एक घर, एक समुदाय भी जरूरी है। ये सब बस एक न्यूरोलॉजिकल बैलेंसिंग एक्ट है, जिसे हम एक फोटो ऑप्टिमाइज़ेशन की तरह दिखा रहे हैं।

  • Jasmeet Johal

    Jasmeet Johal

    जून 27 2024

    कमल हासन को अपनी फिल्मों का बॉक्स ऑफिस देखो और चुप रहो

  • Namrata Kaur

    Namrata Kaur

    जून 28 2024

    मानसिक परामर्श जरूरी है, लेकिन शराब की बिक्री रोको पहले।

  • Kiran M S

    Kiran M S

    जून 29 2024

    क्या आप जानते हैं कि मानव मन का एक अंश हमेशा खुद को दोषी ठहराता है, खासकर जब वह बाहरी नियंत्रण के बिना अपने अंतर्मन के साथ अकेला होता है? कमल हासन ने यही सच छुआ है - शराब का नशा नहीं, बल्कि अस्तित्व का अभाव ही इस त्रासदी का मूल कारण है। हम सब अपने जीवन के अर्थ की खोज में शराब में भाग रहे हैं।

    ये बात बहुत गहरी है। जब तक हम समाज में व्यक्तिगत अस्तित्व के लिए एक दार्शनिक ढांचा नहीं बनाएंगे, तब तक ये त्रासदियां दोहराएंगी। यह एक आध्यात्मिक असंतुलन है, न कि एक नीति की विफलता।

  • Paresh Patel

    Paresh Patel

    जून 29 2024

    मैंने अपने दोस्त को एक बार अस्पताल में देखा था जब वो शराब के बाद आ गया था। उसकी आंखों में बस एक खालीपन था - न गुस्सा, न दुख, बस खालीपन। मैंने उससे बात की और उसकी बातें सुनीं। उसके पास कुछ नहीं था - न घर, न नौकरी, न कोई समझदार आदमी। अगर हम उसे एक आदमी के तौर पर देखें, तो ये त्रासदी सिर्फ एक शराब की बोतल की नहीं, बल्कि एक जीवन की निराशा की है।

    मानसिक परामर्श बस एक शुरुआत है। अगर हम उन लोगों को एक आदमी के तौर पर देखना शुरू कर दें, तो ये त्रासदियां बंद हो जाएंगी।

  • indra maley

    indra maley

    जून 29 2024

    जब तक हम अपने अंदर की खालीपन को नहीं मानेंगे तब तक कोई परामर्श भी काम नहीं करेगा। ये त्रासदी एक आईना है जो हमें अपने खुद के अंधेरे को दिखाता है।

  • Abdul Kareem

    Abdul Kareem

    जून 30 2024

    क्या ये मानसिक परामर्श केवल उन लोगों के लिए है जिन्होंने शराब पी ली, या क्या इसकी जिम्मेदारी उन लोगों पर भी है जिन्होंने अवैध शराब बेची? क्या किसी ने उन दुकानदारों के बारे में सोचा जिन्होंने इस नशे को बाजार में उतारा? ये एक व्यवस्था की विफलता है, न कि व्यक्तिगत अपराध।

    कमल हासन ने जो कहा, वो सही है, लेकिन वो अधूरा है। अगर आप एक बीमारी का इलाज करना चाहते हैं, तो आपको बीमारी के कारण को भी ठीक करना होगा। ये सिर्फ बीमारी के लक्षणों को दबाना है।

  • Kamal Singh

    Kamal Singh

    जुलाई 1 2024

    अब जो लोग बच गए हैं, उन्हें अब अपने जीवन का अर्थ फिर से ढूंढना होगा। ये त्रासदी ने उनके लिए एक नया सवाल खड़ा कर दिया है - क्या हम बस जी रहे हैं, या हम जीने की कोशिश कर रहे हैं? मानसिक परामर्श सिर्फ एक बातचीत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है।

    हम अक्सर भूल जाते हैं कि इंसान एक जीव है, न कि एक नंबर। जब हम उनके दर्द को नंबरों में बदल देते हैं - 56 मरे, 216 भर्ती - तो हम उनकी आत्मा को भूल जाते हैं।

    कमल हासन ने एक आवाज उठाई है, लेकिन अब हमें उस आवाज को सुनना होगा। न कि राजनीति के लिए इस्तेमाल करना।

एक टिप्पणी लिखें

आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *