कीर्ति चक्र: भारत का प्रमुख खेल सम्मान
अगर आप खेल समाचार देखते‑देखते थक चुके हैं और कभी सोचा है कि खिलाड़ियों को सरकार किस तरह से सम्मान देती है, तो कीर्ति चक्र एक ज़रूरी शब्द है। इसे भारत सरकार के खेल मंत्रालय ने 1991 में शुरू किया था, ताकि वे राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय या एशियाई स्तर पर शिखर पर पहुँचने वाले खिलाड़ियों को मान्यता दे सकें।
कीर्ति चक्र सिर्फ एक मीडल नहीं, बल्कि एक पूरा पैकेज है—रूपया, पदक और नाम की सूची में स्थान। यह सम्मान मिलने से खिलाड़ी को न केवल उत्साह मिलता है, बल्कि अक्सर उनके करियर में नई संभावनाएँ भी खुलती हैं, जैसे कि सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता या अनुशंसित पोजीशन।
कीर्ति चक्र की प्रमुख जानकारी
कीर्ति चक्र के तहत तीन स्तर होते हैं: स्वर्ण, रजत और कांस्य। स्वर्ण सबसे ऊँचा है, जिसे ओलंपिक मेडल जीतने या विश्व चैंपियनशिप में प्रथम स्थान हासिल करने वाले खेलियों को दिया जाता है। रजत स्तर में एशिया कप या विश्व कप में दूसरा स्थान, और कांस्य में तीसरा स्थान शामिल है।
प्रत्येक स्तर पर मिलने वाला नगद इनाम भी अलग‑अलग है—स्वर्ण के लिए लगभग ₹5 लाख, रजत के लिए ₹3 लाख और कांस्य के लिए ₹1 लाख। इसके अलावा एक आधिकारिक पदक और प्रमाणपत्र भी दिया जाता है, जो खिलाड़ियों के पोर्टफ़ोलियो में चमकता है।
पात्रता के लिए खिलाड़ी को भारत का नागरिक होना अनिवार्य है और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय या राष्ट्रीय मान्य प्रतियोगिताओं में उल्लेखनीय प्रदर्शन करना चाहिए। चयन प्रक्रिया में खेल मंत्रालय की समिति का मत शामिल होता है, जो पिछले 12 महीनों की उपलब्धियों को देखती है।
हालिया प्राप्तकर्ता और लाभ
पिछले साल के कुछ प्रमुख नामों में फाल्कन बड़ौला (हॉकी), नीली कोहली (टेनिस) और पिंकी तुंदल (क्रिकेट) शामिल हैं। इन सबको कीर्ति चक्र मिला क्योंकि उन्होंने अपने‑अपने खेल में अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का नाम रोशन किया। इन पुरस्कारों ने उन्हें नई स्पॉन्सरशिप, हाई‑प्रोफ़ाइल विज्ञापनों और कभी‑कभी सरकारी नौकरियों में विशेष सुविधाएँ दिलवाई हैं।
हालांकि, यह सिर्फ पैसा या पदक नहीं है। खिलाड़ियों को अक्सर इस सम्मान के बाद अधिक प्रतिस्पर्धी टूरीज में भाग लेने का मौका मिलता है, क्योंकि उनका नाम अब चयन समिति के दिमाग में रहता है। इससे उनके प्रशिक्षण और करियर ग्रोथ में भी मदद मिलती है।
यदि आप एक युवा खिलाड़ी हैं और कीर्ति चक्र जीतना चाहते हैं, तो मुख्य बात है निरंतर मेहनत और सही प्रतियोगिताओं में भाग लेना। राष्ट्रीय स्तर की कैंप में जगह बनाना, कोच की राय लेना और अंतर्राष्ट्रीय मेले में प्रदर्शन करना सबसे असरदार रास्ता है। याद रखें, यह पुरस्कार केवल जीत से नहीं, बल्कि खेल के प्रति समर्पण और राष्ट्रीय गर्व से भी जुड़ा है।
संक्षेप में, कीर्ति चक्र भारत के खेल जगत में एक मान्यताप्राप्त सशक्त पुरस्कार है। यह न केवल खिलाड़ियों को वित्तीय रूप से मदद करता है, बल्कि उनका आत्म‑विश्वास बढ़ाता है और भविष्य की संभावनाओं को खोलता है। तो अगली बार जब आप किसी खिलाड़ी को स्टेडियम में जश्न मनाते देखें, तो याद रखें—उनके पीछे कीड़ी चक्र की चमक भी है।
कैप्टन अंशुमान सिंह की विधवा स्मृति सिंह ने अपने स्वर्गीय पति को मरणोपरांत दी गई कीर्ति चक्र को स्वीकार किया। अंशुमान सिंह ने सियाचिन में एक आग दुर्घटना के दौरान अद्वितीय बहादुरी दिखाई थी। उनका और स्मृति का मिलन कॉलेज के पहले दिन हुआ था और उनकी लंबी दूरी की कहानी आठ साल चली थी।
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