क्रिकेट चोट: कारण, रोकथाम और तेज़ी से ठीक होने के टिप्स
क्रिकेट खेलते‑खेलते अक्सर चोट लग जाती है, चाहे आप बॉलर हों या बैटर। छोटी मोड़ या अचानक तेज़ गति से मांसपेशियों में खिंचाव हो सकता है, और कई बार यह चोटें लगातार खेल को प्रभावित करती हैं। अगर आप जानना चाहते हैं कि कौन‑सी चोटें सबसे ज्यादा होती हैं और इनसे बचने के लिए क्या करना चाहिए, तो आगे पढ़ें। सरल टिप्स अपनाकर आप मैदान पर फिट रह सकते हैं और चोटों की कीमत से बच सकते हैं।
क्रिकेट में सबसे आम चोटें कौन‑सी हैं?
हथियार (बॉल) के तेज़ स्पीड और लगातार दौड़ने‑छुपने के कारण कुछ मसल्स और जॉइंट्स पर ज़्यादा दबाव पड़ता है। सबसे आम चोटें हैं:
- हैमस्ट्रिंग स्ट्रेन – तेज़ दौड़ या अचानक दिशा बदलने से मांसपेशी खिंच सकती है।
- कंधा (शोल्डर) इन्जरी – बॉलर की फास्ट बॉल या स्विंगिंग बाउंड्री मारते समय कंधे पर तनाव बढ़ता है।
- पीठ की दर्द (लॉवर बैक) – लंबी ओवरिंग या बैटिंग में गलत फॉर्म से पीठ में दर्द हो सकता है।
- गुड़िया (गुड़िया) में मोच – फील्डिंग के दौरान गिरते‑पड़ते या तेज़ मोड़ लेते समय अक्सर घुटने या टखने में मोच आती है।
- अंगूठा (थंब) एंब्रिशिया – तेज़ कैच या बॉल को फेंकते समय अंगूठे पर दबाव पड़ता है।
इन चोटों की पहचान जल्दी करना और उचित देखभाल लेना बहुत ज़रूरी है, ताकि खेल से दूर ना होना पड़े।
चोट से बचने के आसान उपाय
रोकथाम में सबसे बड़ा कदम है सही वार्म‑अप और स्ट्रेचिंग। खेल शुरू होने से कम से कम 15‑20 मिनट स्ट्रेचिंग, जॉगिंग और हल्की एरोबिक एक्सरसाइज़ करें। खासकर हैमस्ट्रिंग, कंधे और पीठ के लिए आसान स्ट्रेच चुनें।
सही फॉर्म भी चोट के जोखिम को घटाता है। बॉलर के लिए बैक फॉर्म में झुकना, बैटर के लिए कोहनी को हल्का मोड़ रखकर स्विंग करना फायदेमंद रहता है। अगर आप फील्डिंग में तेज़ी से घूमते हैं, तो पैर को हल्का मोड़ कर रखते हुए फिरती गति बनाएँ, इससे टखने पर दबाव कम होगा।
जैसे ही दर्द या असहजता महसूस हो, तुरंत खेल रोकें। खुद को मजबूर करके खेलते‑रहने से चोटें गहरी हो सकती हैं। पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स का नियमित सेवन ऊर्जा स्तर को बनाए रखता है और मसल्स की थकान कम करता है।
इंटेंस ट्रेनिंग के बीच में कम से कम एक दिन आराम का शेड्यूल रखें। शरीर को रिपेयर करने का समय देना मसल्स को मजबूत बनाता है और भविष्य में इन्जरी की संभावना घटाता है।
यदि चोट लग जाए, तो प्राथमिक उपचार के लिए R.I.C.E. (Rest, Ice, Compression, Elevation) प्रोٹोकॉल अपनाएँ। दर्द वाले हिस्से को 15‑20 मिनट तक बर्फ़ से ठंडा करें, हल्का एलेज दबाव और ऊँचा रखें। फिर एक फिजियोथेरेपिस्ट से सही रीहैबिलिटेशन एक्सरसाइज़ करवाएँ।
कुछ खिलाड़ी, जैसे मोहम्मद सिराज, ने चोट के बाद सही रीहैबिलिटेशन और दायट पर ध्यान देकर जल्दी वापसी की है। उनका अनुभव बताता है कि प्रोफेशनल सपोर्ट, उचित पोषण और मानसिक सकारात्मकता से उपचार जल्दी होता है।
समाप्ति में यह कहूँ तो, क्रिकेट में चोटें अनिवार्य नहीं, बल्कि रोकने योग्य हैं। सही वार्म‑अप, फॉर्म, आराम और समय पर उपचार से आप मैदान पर लंबा खेल सकते हैं। याद रखिए, स्वास्थ्य ही सबसे बड़ी जीत है।
शुभमन गिल, भारतीय बल्लेबाजी के महत्वपूर्ण खिलाड़ी, को पर्थ में एक अभ्यास मैच के दौरान उनका बायां अंगूठा टूट गया है। यह दुर्घटना ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टेस्ट से केवल छह दिन पहले घटी, जिससे भारतीय टीम की चुनौतियां बढ़ गई हैं। इस चोट के कारण गिल का पहले टेस्ट में खेलना संदिग्ध हो गया है। भारतीय टीम के कप्तान रोहित शर्मा की अनुपस्थिति भी टीम की समस्या को बढ़ा रही है।
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