पश्चिमी विषमता – क्यों और कैसे?
जब हम पश्चिमी विषमता, पश्चिमी देशों में देखी जाने वाली आय, अवसर और सामाजिक लाभों में गहरी खाई. इसे कभी‑कभी पश्चिमी असमानता भी कहा जाता है, तो यह समझना जरूरी है कि यह केवल आर्थिक अंतर नहीं, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और राजनीति में भी परिलक्षित होती है।
इस मुद्दे के दो मुख्य आयाम आर्थिक असमानता, धन और आय के वितरण में अंतर और सामाजिक विभाजन, समुदाय, जाति और लिंग के आधार पर सामाजिक अवसरों में अंतर हैं। आर्थिक असमानता अक्सर उच्च लाभ वाले सैक्टरों में निवेश की कमी और कर नीति की असमानता से बढ़ती है, जबकि सामाजिक विभाजन शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच में बाधा बनता है। ये दोनों आयाम मिलकर पश्चिमी विषमता को गहरा करते हैं।
राजनीति इस विषमता को दो तरह से प्रभावित करती है। एक ओर, चुनावी रणनीतियों में अमीर वर्ग को कई बार प्राथमिकता मिलती है, जिससे नीति‑निर्माण में उनका दबदबा बढ़ता है। दूसरी ओर, सार्वजनिक नीति के माध्यम से बेहतरी की दिशा में कदम उठाए जा सकते हैं—जैसे प्रगतिशील कर, न्यूनतम वेतन, और सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ। इस संदर्भ में पश्चिमी देशों में चल रहे परित्यक्त ग्रामीण इलाकों में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास एक प्रमुख उदाहरण है।
संस्कृति और मीडिया का रोल
सांस्कृतिक अंतर भी पश्चिमी विषमता को आकार देता है। मीडिया अक्सर सफल व्यवसायियों और शहरी जीवनशैली को प्रदर्शित करता है, जिससे ग्रामीण या कम आय वाले वर्ग में निराशा पनपती है। इसी समय, डिजिटल विभाजन—इंटरनेट पहुँच में अंतर—शिक्षा और रोजगार के अवसरों को सीमित करता है। जब तक इन सांस्कृतिक बाधाओं को समझा और सुधारा नहीं जाता, आर्थिक और सामाजिक असमानता बनी रहेगी।
शिक्षा प्रणाली में भी असमानता स्पष्ट है। निजी स्कूलों और विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए उच्च फीस अक्सर मध्यम वर्ग को बाहर रख देती है। इससे उच्च कौशल वाली नौकरियों के लिए प्रतिस्पर्धा में पीछे रहना पड़ता है, और आय अंतर और घटता है। इस समस्या के समाधान के लिए स्कॉलरशिप, छात्रवृत्ति और सार्वजनिक शिक्षा में निवेश आवश्यक है।
स्वास्थ्य सेवाओं में भी अंतर स्पष्ट है। निजी अस्पतालों की बेहतर सुविधाएँ केवल उन लोगों को मिलती हैं जो खर्च उठा सकते हैं। सरकारी अस्पतालों में भी सुविधा की कमी और लंबी प्रतीक्षा समय आम है। स्वास्थ्य असमानता ने कई देशों में महामारी के दौरान गंभीर परिणाम दिखाए हैं, जहाँ गरीब वर्ग को अधिक जोखिम रहा।
इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास को देखिए—शहरी क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन, जल आपूर्ति और ऊर्जा की सुविधाएँ बेहतर हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर बुनियादी सुविधाओं की कमी रहती है। इस तरह की असमानता रोज़मर्रा की जिंदगी में बड़ा असर डालती है और आर्थिक उत्पादन में भी बाधा बनती है।
अंत में, तकनीकी प्रगति भी दोधारी तलवार है। ऑटोमेशन और एआई ने उत्पादन बढ़ाया है, लेकिन साथ ही कई मैन्युअल नौकरियों को समाप्त किया है, जिससे निचले वर्ग की आय में कमी आई है। इस बदलाव को समझते हुए स्किल विकास कार्यक्रम और पुनः प्रशिक्षण की जरूरत है, ताकि कामगार नई तकनीक के साथ तालमेल बिठा सकें।
आपके सामने आने वाले लेख इस व्यापक परिप्रेक्ष्य को विभिन्न दृष्टिकोणों से दर्शाते हैं—राजनीति में परिवर्तन, कोर्ट के फ़ैसले, वित्तीय मार्केट के उतार‑चढ़ाव, खेल जगत में सफलता और सामाजिक आंदोलन। इन सभी को पढ़कर आप पश्चिमी विषमता के विभिन्न पहलुओं को गहराई से समझ पाएँगे और देखेंगे कि कैसे नीति एवं व्यक्तिगत प्रयास इससे लड़ सकते हैं। अब चलिए, नीचे प्रस्तुत लेखों में डुबकी लगाते हैं और हर पहलू को विस्तार से जानते हैं।