शॉट पुट क्या है और इसे कैसे बेहतर बनाया जाए?
शॉट पुट एथलेटिक्स का एक एटमिक इवेंट है जहाँ खिलाड़ी अपने कोहनी के पास रखे भारी धातु के गोले (शॉट) को जितना दूर संभव हो फेंकता है। शुरुआती लोग अक्सर फॉर्म को लेकर उलझते हैं, पर सही तकनीक सीखने से दूरी में बड़ा अंतर आता है। चलिए एक-एक करके बुनियादी स्टेप्स समझते हैं।
सही पकड़ और स्टांस
सबसे पहले है शॉट की पकड़। इसे हाथ की हथेली से पूरी तरह से लपेटें, अंगूठे को नीचे की ओर दबा कर फिक्स रखें। ट्रैक पर खड़े होते समय पैरों को कंधे-चौड़ाई में रखें और पीछे वाले पैर को थोड़ा आगे रखें। यह बेसिक बिंदु आपका संतुलन बनाता है और फेंकते समय शक्ति का अच्छा ट्रांसफर देता है।
फेंक की चरणबद्ध प्रक्रिया
शॉट पुट चार मुख्य चरणों में बाँटा जाता है: ग्रिप, पोजीशन, पावर और रिलीज। ग्रिप में बात पहले की है। पोजीशन में कंधे, कूल्हे और घुटने को एक सीधी लाइन में लाएँ। पावर चरण में घुटने मोड़ें और कूल्हे को पीछे की ओर ले जाएँ, फिर तेज़ी से आगे धकेलें। अंत में रिलीज में शॉट को हाथ के सामने और ऊपर उठाते हुए फेंकेँ, जिससे वह ऊर्ध्वत और क्षैतिज दोनों गति ले सके।
ध्यान रखें कि फेंकते समय शरीर का वजन पीछे से आगे की ओर हल्के से सरकता है। अगर आप बहुत जल्दी कंधे या हाथ को आगे ले जाते हैं, तो शक्ति बिखर जाती है और दूरी कम हो जाती है। अभ्यास में इस मूवमेंट को धीमी गति से दोहराएँ, फिर तेज़ी से।
एक और महत्वपूर्ण बात है फॉर्म का स्थिर रहना। कई शुरुआती लोग फेंकते समय सिर को हिलाते हैं या पैर को हिलाते हैं, जिससे बैलेंस बिगड़ता है। फोकस रखें कि आपकी आँखें लक्ष्य की ओर हों और शरीर का अधिकांश हिस्सा स्थिर रहे।
अब बात करते हैं ट्रेनिंग की। सप्ताह में दो-तीन बार शॉट पुट के स्पेशल ड्रिल्स करें। हल्के वजन से शुरू करके धीरे-धीरे वजन बढ़ाएँ। साथ ही फ़िज़िकल कंडीशनिंग के लिए स्क्वैट, डेडलिफ्ट और कोर एक्सरसाइज़ को रूटीन में शामिल करें। ये एक्सरसाइज़ आपके पावर और स्थिरता को बढ़ाएंगे।
प्रतियोगिता के दिन, वॉर्म‑अप को कभी न छोड़ें। हल्का जॉगिंग, डायनामिक स्ट्रेच और लगभग दो‑तीन प्रैक्टिस फेंक कर शरीर को तैयार रखें। सबसे बड़े फेंक को पहले करने की कोशिश न करें; पहले कुछ कम दूरी के अभ्यास से बॉल की फीलिंग को समझें और फिर अपना सर्वश्रेष्ठ फेंक दें।
अंत में, याद रखें कि शॉट पुट में निरंतरता ही सफलता की कुंजी है। हर सत्र में छोटे‑छोटे सुधार करें, वीडियो रिकॉर्ड करके फॉर्म देखें और कोच या अनुभवी खिलाड़ी से फीडबैक लें। इस तरह आप धीरे‑धीरे अपनी दूरी में सुधार देखेंगे और प्रतियोगिताओं में बेहतर प्रदर्शन कर पाएँगे।
नागालैंड के 40 वर्षीय भारतीय सेना के जवान होकाटो होतोज़े सेमा ने पेरिस पैरालम्पिक्स में पुरुषों की शॉट पुट F57 श्रेणी में कांस्य पदक जीतकर एक अद्वितीय कीर्तिमान स्थापित किया है। यह पल उनकी 22 साल की कठिन यात्रा और अद्वितीय दृढ़ता का परिणाम है। 2002 में जम्मू-कश्मीर के चौकिबल में एक आतंकवाद विरोधी मिशन के दौरान हुए लैंडमाइन विस्फोट में उन्होंने अपना बायां पैर खो दिया था।
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