DUSU चुनाव 2025: ABVP ने जीती राष्ट्रपति पद, 16,000 वोटों से कर दिया धूम
दिसंबर के पहले सप्ताह में घोषित DUSU चुनाव 2025 के नतीजों ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस को हिलाकर रख दिया। राष्ट्रीय स्तर पर RSS‑संलग्न अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने चार प्रमुख पोस्ट में से तीन जीती, जबकि नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) को केवल उपराष्ट्रपति का पद ही मिला। इस जीत में एर्यन मान का नाम प्रमुख रहा, जिन्होंने 16,000 से अधिक वोटों के अंतर से राष्ट्रपति पद हासिल किया।
परिणाम का विस्तृत विवरण
ABVP के एर्यन मान ने कांग्रेस‑समर्थित NSUI की जोसलिन नंदिता चोधरी को कड़े मुकाबले में पीछे छोड़ दिया। कुल 29,339 वोटों के साथ Rahul Jhansla ने NSUI की ओर से उपराष्ट्रपति का पद जीता, जबकि ABVP के Govind Tanwa को 20,547 वोट मिले। सचिव पद पर ABVP के Kunal Choudhary और संयुक्त सचिव पद पर Deepika Jha ने क्रमशः जीत हासिल की। बाएं‑पक्षीय AISA‑SFI गठबंधन की अंजली को राष्ट्रपति पद में केवल 5,385 वोट मिले, और उनके उपराष्ट्रपति प्रत्याशी Sohan को 4,163 वोटों का समर्थन मिला।
चुनावी प्रक्रिया और व्यापक प्रभाव
यह चुनाव 18 सितम्बर को 52 केन्द्रों और 195 बूथों पर दो शिफ्ट में हुआ। दिन की कक्षाओं के लिए सुबह 8:30 से दोपहर 1 बजे तक, और शाम की कक्षाओं के लिए 3 बजे से 7:30 बजे तक मतदान चलाया गया। कुल 2.75 लाख छात्रों में से लगभग 39.4% ने वोट किया, जो पिछले साल की तुलना में थोड़ा घटा है। सुरक्षा के लिहाज़ से उत्तर कैंपस में ड्रोन निगरानी और अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया, जिससे कोई बड़ी व्याधि नहीं हुई।
दिल्ली हाई कोर्ट ने जीत के बाद राजद्रोह प्रदर्शन या परेड को रोकने के लिए प्रतिबंध लगाया, जिससे प्रक्रिया सुगम बनी रही। इस चुनाव में ABVP ने 2024 के बाद फिर से प्रमुख शक्ति के रूप में अपनी वापसी दर्ज की। 2024 में NSUI ने सात साल बाद राष्ट्रपति पद जीत कर एक आश्चर्य पैदा किया था, लेकिन इस बार उन्होंने केवल उपराष्ट्रपति ही कब्ज़ा किया।
NSUI के राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी ने परिणाम को स्वीकारते हुए बताया कि उनका मुकाबला सिर्फ ABVP से नहीं, बल्कि “दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन, दिल्ली सरकार, केंद्र, RSS‑BJP और दिल्ली पुलिस” जैसी संयुक्त ताक़त से भी है। उन्होंने यह भी कहा कि छात्र‑संकल्पना को आगे बढ़ाने के लिए नीतियों में बदलाव जरूरी है।
एर्यन मान की अभियान रणनीति काफी आकर्षक थी। उन्होंने सब्सिडी वाले मेट्रो पास, मुफ्त वाई‑फ़ाई, कैंपस में पहुंचनीयता सुधार, और खेल सुविधाओं के उन्नयन का वादा किया। इन मुद्दों ने छात्रों के बीच खासा आकर्षण उत्पन्न किया, जिससे उनकी वोटिंग में इज़ाफ़ा हुआ। साथ ही, छात्र कल्याण, शुल्क में वृद्धि के विरोध, और शिकायत निवारण तंत्र को सुदृढ़ करने जैसे मुद्दे भी प्रमुख रहे।
परिणाम राष्ट्रीय राजनीति की झलक भी दिखाते हैं। जहां भाजपा‑समर्थित ABVP ने प्रमुख जीत हासिल की, वहीं कांग्रेस‑सम्बद्ध NSUI ने अपनी औसत स्थिति पर ही पकर गये। DUSU चुनाव अक्सर भविष्य के राष्ट्रीय नेताओं की खोज का मंच होते हैं, इसलिए इस जीत का राष्ट्रीय स्तर पर भी असर देखना संभव है। कई विश्लेषकों ने कहा कि युवा वर्ग में अब भी केंद्रित नीतियों और सामाजिक मुद्दों पर बहस जारी रहेगी, और अगली बार की चुनावी रणनीतियों में इन बिंदुओं पर अधिक ध्यान दिया जाएगा।
13 टिप्पणि
Priyanshu Patel
सितंबर 28 2025ये ABVP वाले तो अब छात्र संघ के बजाय राष्ट्रीय नेता बनाने का काम कर रहे हैं। मेट्रो पास और वाई-फाई के वादे से छात्रों का दिमाग घुल गया।
Gaurav Singh
सितंबर 29 202516000 वोटों से जीतना कोई बड़ी बात नहीं जब दूसरी पार्टी के पास बस एक फोन नंबर और एक बेटी हो जिसने अपने दोस्तों को वोट करने के लिए बोला। ये चुनाव तो बस एक बड़ा टीवी शो है
ashish bhilawekar
सितंबर 29 2025अरे भाई ये तो जीत का नहीं बल्कि ट्रांसफॉर्मेशन है! ABVP ने सिर्फ वोट नहीं जीते बल्कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के दिल को जीत लिया! अब तो हर कोने में वाई-फाई और मेट्रो पास की बारिश होगी! जय श्री राम और जय एर्यन मान!
Vishnu Nair
सितंबर 30 2025इस जीत के पीछे एक बड़ा ऑपरेशन छिपा है। ड्रोन निगरानी के साथ ही बूथों पर एआई-आधारित वोट काउंटिंग सिस्टम लगाया गया था जो वोटों को रियल-टाइम में रिमोट एडिट कर सकता है। ये न सिर्फ DUSU का मामला है बल्कि भारत के डिजिटल डेमोक्रेसी का टेस्ट केस है। किसी ने कभी सोचा था कि एक छात्र चुनाव राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों की नजर में आ जाएगा?
Kamal Singh
अक्तूबर 1 2025अगर आप देखें तो ये सिर्फ एक चुनाव नहीं बल्कि एक नए नेतृत्व की शुरुआत है। ABVP ने वास्तविक समस्याओं को छूया है - पहुंच, शुल्क, खेल। अब बाकी पार्टियों को बस इतना करना है कि वो भी इसी तरह छात्रों की आवाज़ सुनें। ये बदलाव की बात है।
Jasmeet Johal
अक्तूबर 2 2025NSUI ने जीत नहीं हासिल की तो क्या हुआ बस इतना कहो कि ABVP ने जीत ली
Noushad M.P
अक्तूबर 3 2025क्या आपने देखा कि जो लोग अभी तक NSUI को बहुत बड़ा बताते थे अब उनके वोटों की संख्या को छोटा बता रहे हैं? ये लोग तो अपनी भावनाओं के साथ वोट करते हैं न कि तथ्यों के साथ
Namrata Kaur
अक्तूबर 4 2025मेट्रो पास और वाई-फाई के वादे से छात्रों को लगा कि अब जिंदगी आसान हो जाएगी। असली समस्याएं तो अभी भी वही हैं।
indra maley
अक्तूबर 4 2025चुनाव के नतीजे तो बदलते रहते हैं लेकिन सवाल ये है कि क्या हम अपने छात्रों को वास्तविक शक्ति दे रहे हैं या सिर्फ एक नाम और एक पोस्टर? क्या ये चुनाव हमारी जिम्मेदारी का परीक्षण है या सिर्फ एक रंगबिरंगी शो?
Kiran M S
अक्तूबर 4 2025ये सब तो बस एक अनुकरणीय लोकतंत्र का नाटक है। जब तक हम छात्रों को वास्तविक शिक्षा के बजाय राजनीतिक नारे सिखाते रहेंगे, तब तक ये चुनाव बस एक बड़ा फेसबुक पोस्ट बने रहेंगे। असली नेता तो वो होते हैं जो अपने दिमाग से सोचते हैं न कि अपने ट्रैक्टर से।
Paresh Patel
अक्तूबर 6 2025इस जीत का मतलब ये नहीं कि दूसरे खो गए बल्कि ये कि अब छात्र अपनी ज़रूरतों को समझने लगे हैं। अगर आप वाई-फाई और मेट्रो पास के लिए वोट करते हैं तो ये बहुत बड़ी बात है। अब बाकी पार्टियों को भी इसी तरह सोचना होगा। हम सब जीत रहे हैं अगर हम बातचीत करने लगे
anushka kathuria
अक्तूबर 7 2025मतदान की दर में गिरावट और ड्रोन निगरानी का उपयोग एक चिंताजनक संकेत है। छात्रों की भागीदारी कम हो रही है और सुरक्षा के नाम पर निगरानी बढ़ रही है। यह वास्तव में एक लोकतांत्रिक वातावरण है?
Abdul Kareem
अक्तूबर 9 2025क्या कोई जानता है कि ABVP के अभियान के लिए कितने रुपये खर्च हुए? क्या ये सब कैंपस के फंड से हुआ? क्या ये चुनाव वाकई छात्रों के लिए है या किसी और के लिए?