Chandraghanta Puja Vidhi – पूर्ण चरण‑बद्ध गाइड
जब हम Chandraghanta Puja Vidhi, नववर्णी के नौवें दिवसीय उपवास के अंत में चंद्रघंटा माता की अर्चना करने की विस्तृत प्रक्रिया. इसे अक्सर चंद्रघंटा औषधि कहा जाता है, तो यह विधि क्या है, क्यों जरूरी है और कब करनी चाहिए—सब कुछ यहाँ समझेंगे.
चंद्रघंटा माता की विशेषताएँ
पहली बार हम चंद्रघंटा माता, शक्ति की दस महा देवी में से एक, जो साहस, रक्षा और आत्मविश्वास का प्रतीक है. वह ध्वनि में घनघोर घंटी जैसी आवाज़ करती है, इसलिए उसका नाम चंद्रघंटा रखा गया है। उसकी सवारी शेर है और वह घोड़े की तरह दो कंधों पर भालु को धारण करती है। इस रूप को समझना पूजा की शक्ति को बढ़ाता है, क्योंकि Chandraghanta Puja Vidhi में देवी के गुणों को अपनाना मुख्य उद्देश्य है.
इस विवरण से स्पष्ट है कि चंद्रघंटा माता का स्वरूप ज्योति, ध्वनि और शौर्य के त्रिकाल को जोड़ता है। जब आप इस रूप की कल्पना करते हैं, तो आप अपने मन में शाक्तिकरण की ऊर्जा को बुलाते हैं – यही वह आध्यात्मिक कनेक्शन है जो इस पूजा को विशेष बनाता है.
नवरात्रि और चंद्रघंटा पूजा का संबंध
अब बात करते हैं नवरात्रि, भक्तों द्वारा मनाया जाने वाला नौ दिन का उत्सव, जहाँ माँ के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि के प्रत्येक दिन एक अलग शक्ति का स्वागत होता है, और नौवें दिन चंद्रघंटा की पूजा विशेष महत्व रखती है। इस दिन शुक्रमा से शुरू होकर चंद्रघंटा तक का क्रम ऊर्जा का उत्थान दर्शाता है; इसलिए चंद्रघंटा पूजा तभी सर्वोत्तम प्रभाव देती है जब यह नवरात्रि के अंत के साथ संरेखित हो।
नवरात्रि के दौरान शक्ति पूजा, भक्तियों द्वारा देवी के रूप में ऊर्जा का संचार करने वाली विशेष रस्में भी चलती रहती हैं। चंद्रघंटा पूजा इस शक्ति पूजा का एक हिस्सा बनकर भक्त को आध्यात्मिक और मानसिक दृढ़ता देती है।
मुख्य चरण और आवश्यक सामग्री
अब हम Chandraghanta Puja Vidhi के प्रमुख चरणों को त्वरित रूप से देखें। सबसे पहले साफ‑सुथरा स्थान तैयार करें, फिर एक घन भांड में जल, कलश, धूप, अक्षत और लाल फूल रखें। अगले चरण में चंद्रघंटा माता की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें और उसके आगे पाँच एली—धन्य, शंख, अग्नि, वैजयन और एकत्रित शुद्ध जल रखें। फिर त्रिकपाल मंत्र का उच्चारण करें, जिससे देवी के चारों ओर ऊर्जा का मंडल बनता है। इसके बाद मंत्र, विशेष ध्वनि वाक्य जो देवी के आशीर्वाद को आकर्षित करते हैं जैसे "ॐ चंद्रघंटायै नमः" और "ॐ शंकराय नमः" को लगातार जपा जाएँ।
पूजा के दौरान हल्दी, धूप, चंदन और प्रसाद का अर्पण किया जाता है। अर्पण के बाद जल स्नान, भोग वितरण और परीत्याग (विच्छेदन) के चरण पूरे करें। अंत में कैलाश स्थापित करें, जो शक्ति स्त्री की स्थायित्व को दर्शाता है, और सभी को शुभकामनाएँ दें। यह क्रम न केवल धार्मिक मान्यताओं को पूरा करता है बल्कि व्यक्तिगत मन की शांति भी लाता है.
इन सभी चरणों को सही क्रम में अपनाने से ही चंद्रघंटा माता की कृपा प्राप्त होती है। आपके घर, मंदिर या छोटे पवित्र स्थल पर इसे लागू कर सकते हैं; मुख्य बात है सच्ची श्रद्धा और शुद्ध हृदय।
उपरोक्त विवरण के बाद अब आप नीचे दी गई लेख‑सूची में विभिन्न पहलुओं की गहरी जानकारी पाएँगे – जैसे विशेष मंत्रों का उच्चारण, तिथि‑समय के अनुसार श्रेष्ठ पूजा‑विधि, और दैनिक जीवन में शक्ति स्त्री को कैसे शामिल करें। चलिए, आगे पढ़ते हैं और अपने मन और घर में चंद्रघंटा माता का आशीर्वाद लाते हैं।
Navratri के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा होती है। लेख में देवी का महत्व, पूजन की विस्तृत विधि, मुख्य मंत्र, प्रसाद और शुभ समय की जानकारी दी गई है। साथ ही इस पूजा के आध्यात्मिक और वैभविक लाभ भी बताया गया है।
जारी रखें पढ़ रहे हैं