वीरता पुरस्कार क्या है और क्यों अहम है?
भारत में वह लोग जिन्हें देश के लिए असाधारण साहस दिखाना पड़ता है, उन्हें वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। यह पुरस्कार सिर्फ एक पदक नहीं, बल्कि पूरे भारत का धन्यवाद होता है। जब कोई अपनी जान को खतरे में डालकर दूसरों की सुरक्षा करता है, तो सरकार उसकी सराहना के लिए इस गौरवशाली सम्मान को देती है।
वीरता पुरस्कार के प्रमुख प्रकार
बिना किसी उलझन के, मुख्य रूप से तीन बड़े पुरस्कार हैं: विजय चक्र, शौर्य चैम्पियन पदक और राष्ट्रीय शौर्य सम्मान। विजय चक्र सबसे ऊँचा होता है, इसके बाद शौर्य चैम्पियन पदक और फिर राष्ट्रीय शौर्य सम्मान आता है। हर एक में अलग‑अलग डिझाइन और भौतिक आकार होते हैं, लेकिन सभी का मूल मकसद समान है – वीरता को जन तक पहुँचाना।
इनके अलावा कुछ विशेष क्षेत्रों के लिए भी अलग‑अलग पदक होते हैं, जैसे कि पुलिस, फायर ब्रिगेड और अग्निशामक दलों के लिए विशेष वीरता पुरस्कार। ये सभी एक ही विचार पर आधारित हैं – किसी ने जब भी अपने जीवन को खतरे में डालकर अपनी ड्यूटी पूरी की, तो उसे सम्मान देना।
विरा पुरस्कार के बारे में कैसे आवेदन करें
अगर आप या आपका कोई जानकार इन पुरस्कारों के लायक है, तो प्रक्रिया बहुत सरल है। सबसे पहले संबंधित विभाग (सेना, पुलिस, फायर सर्विस) को एक लिखित रिपोर्ट भेजनी होती है। इस रिपोर्ट में घटना का पूरा विवरण, तारीख, समय और गवाहों के बयान शामिल होते हैं। उसके बाद एक समिति इस रिपोर्ट को जांचती है और यह तय करती है कि क्या यह मानदंडों पर खरा उतरता है।
परीक्षा पास हो जाने पर, अगली चरण में वरिष्ठ अधिकारी की स्वीकृति मिलती है और फिर राष्ट्रपति या मुख्य मंत्री द्वारा आधिकारिक घोषणा की जाती है। कई बार स्थानीय मीडिया भी इस बात को कवर करती है, जिससे सबको इसके बारे में पता चले।
ध्यान देने वाली बात यह है कि आवेदन में झूठी जानकारी देने पर कड़ी सजा हो सकती है। इसलिए डाटा को पूरी तरह से सच्चा और प्रमाणित रखें। यदि आप किसी को nominate करना चाहते हैं, तो उसे पहले उनसे अनुमति लेना अच्छा रहेगा।
आखिर में, वीरता पुरस्कार सिर्फ उन लोगों के लिए नहीं, बल्कि हम सभी के लिए प्रेरणा का काम करता है। जब हम अपने आसपास के हीरो को देखते हैं, तो हम भी अपने छोटे‑छोटे कामों में बेहतर बनने की कोशिश करते हैं। यही तो असली शौर्य है – हर रोज़ की छोटी‑छोटी जीत।
अगर आप अभी भी नहीं जानते कि कौन से पुरस्कार आपके लिए उपयुक्त है, तो सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर सूची देखें या अपने विभाग के प्रशासनिक ऑफिस से संपर्क करें। जानकारी ले, तैयार हों, और अपने या अपने जानकारों को इस सम्मान योग्य बनाएं।
कैप्टन अंशुमान सिंह की विधवा स्मृति सिंह ने अपने स्वर्गीय पति को मरणोपरांत दी गई कीर्ति चक्र को स्वीकार किया। अंशुमान सिंह ने सियाचिन में एक आग दुर्घटना के दौरान अद्वितीय बहादुरी दिखाई थी। उनका और स्मृति का मिलन कॉलेज के पहले दिन हुआ था और उनकी लंबी दूरी की कहानी आठ साल चली थी।
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